बंद होने के कगार पर 50 फीसदी एटीएम

  


 Article by-(सी.ए. विजय शर्मा)


एटीएम उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ‘कैटमी (कन्फेडरेशन आफ एटीएम इंडस्ट्री) ने गत दिनों चेतावनी देते हुए स्पष्ट किया है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक अर्थात् मार्च 2019 सी.ए. तक देश के करीब 50 फीसदी विजय शर्मा एटीएम बंद हो जाएंगे। इस चेता, वनी के बाद से ही बैंकिंग क्षेत्र में चिंता का माहौल है। हालांकि बंद होने वाले अधिकांश एटीएम गैर शहरी क्षेत्रों के ही होंगे किन्तु अगर ऐसा होता है। तो गैर शहरी क्षेत्रों में भी इससे आमजन के लिए परेशानियां बढ़ जाएगी जिसका असर सरकार की ओर से दी जाने वाली विभिन्न सब्सिडी को एटीएम के जरिये खातों से निकालने पर पड़ेगा। ग्रामीण अंचलों में बहुत बड़ी संख्या जन-धन खाताधारकों तथा मनरेगा, विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन सरीखी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की है और नोटबंदी के बाद हर प्रकार के खाताधारकों और एटीएम का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में एटीएम बंद होने का सीधा असर ऐसे बैंक उपभोक्ताओं और एटीएम धारकों पर पड़ना तय है। अगर एटीएम बंद होते हैं तो नकदी निकालने के लिए बैंकों में फिर से लंबी-लंबी लाइनें नजर आ सकती हैं। दरअसल सरकार के नए नियमों के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर तबकों की सब्सिडी का पैसा सीछे उनके बैंक खातों में जाता है जिसके चलते एटीएम सेवाओं पर ऐसे लोगों की निर्भरता ने कह सम में काफी बटी है और एटम बट होने का सर्वाधिक असर उन्हीं पर पड़ेगा। नोटबंदी के बाद से बैंकों की भीड़ से बचने और आधी रात को भी पैसे निकालने की सुविधा के चलते एटीएम सुविधा आज आधुनिक जनजीवन की एक बड़ी जरूरत बन गई है। ऐसे में आधे से अधिक एटीएम बंद करने की चेतावनी ने पहले से ही भारी एनपीए का बोझ झेल रहे बैंकिंग सेक्टर के साथ-साथ सरकार के माथे पर भी बल डाल दिए हैं क्योंकि इससे सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम को झटका लगना तय है। एटीएम के हार्डवेयर और साफ्टवेयर को नए नोटों के हिसाब से अपडेट करने पर करीब तीन हजार करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है, इसलिए एटीएम उद्योग द्वारा ऐसे एटीएम की संख्या कम करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि रिजर्व बैंक के कड़े निर्देशों पर उंगली उठाने से पहले यह जान लेना भी जरूरी है कि उसके ये निर्देश बैंकिग तंत्र को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक ठोस पहल हैं किन्तु दूसरी ओर एटीएम सेवा प्रदाता कम्पनियों की समस्याओं की अनदेखी करना भी उचित नहीं होगा। फिलहाल इस समस्या का एकमात्र समाधान यही है कि एटीएम कम्पनियां तथा बैंकिंग संगठन रिजर्व बैंक के साथ मिलकर इसका कोई संतुलित समाधान निकालने का प्रयास करें। कैटमी का कहना है कि अगर बैंक एटीएम के अपडेटेशन पर आने वाले खर्च को वहन करें या एटीएम लगाने वाली कम्पनियों को कर अतिरिक्त छूट उपलब्ध कराई जाए। तभी इस संकट का समाधान संभव है।