रेलमंत्री ने बिछाई भविष्य की पटरी....दिनेश चौधरी

Article by-दिनेश चौधरी



बजट का काम सिर्फ लेखा-जोखा देना ही नहीं होता। उसका काम दिशा देना भी होता है। वह इस बजट में दिखाई दिया है। इस बजट में एक विजन की ओर इशारा किया गया है जो एक बहुत अच्छी बात है पर उस पर कितना काम होगा, वह इसी साल में पता लग जाएगा। रेलवे ने कुछ साल पहले कहा था कि वह किरायों को डीजल के दामों के साथ जोड़ेंगे। अब वह दृष्टिकोण गलत साबित होता दिखाई दे रहा है। उस वक्त किसने सोचा था कि डीजल के दाम इतने नीचे आ जाएंगे, इसलिए अब लोग सोच रहे हैं कि उनका किराया कम क्यों नहीं हुआ? इस साल का लेखा-जोखा और अगले साल के प्रस्तावित लेखे-जोखे के बारे में इस बजट में बहुत संक्षिप्त बताया गया है। पर इससे यह बात पता चलती है कि रेलवे का ऑपरेशन रेश्यो सुधरा है। पहले के मुकाबले यह कम हो गया है। इसके पीछे बड़ी वजह डीजल के दाम में कमी होना रहा है हालांकि इसमें कुछ अतिरिक्त कारण भी शामिल हैं। अब सुरेश प्रभु ने इसे अगले 2015-16 में 88.5 पर लाने की बात कही है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु का यह बजट पहले जैसे रेल बजटों की तरह नहीं है। वास्तव में यह मोदी सरकार का सुरेश प्रभु की ओर से विजन या पॉलिसी डॉक्युमेंट है।



बजट यह बताता है कि वे क्या करना चाहते हैं लेकिन सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वह यह स्पष्ट नहीं करता कि करेंगे कैसे? नई यात्री गाड़ियों के चलने के बारे में कोई घोषणा नहीं है अलबत्ता कहा गया है कि यात्री किराया नहीं बढ़ाया जाएगा। इस रेल बजट में यात्रियों के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाएं देने की बातें कही गई हैं। ऐसा लगता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के झटके के बाद सरकार बिहार, प.बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के चुनावों के मामले में कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती थी, इसलिए उसने इसे मजबूरी में लोकप्रिय बजट बनाने की कोशिश जरूर की है। अगले साल के लिए रेलवे का कुल निवेश 1 लाख 11 हजार करोड़ होगा। इसमें 41600 करोड़ केंद्रीय सरकार के बजटीय समर्थन मिलेगा पर कुल निवेश के आंकड़े देखें तो 18 हजार करोड़ का फर्क दिखाई दे रहा है। यह कैसे भरा जाएगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। यह 18 हजार करोड़ कहां से आएगा, यह रेल मंत्री ने नहीं बताया। मंत्री ने यह जरूर कहा है कि रेलवे की फंडिंग के लिए नए स्रोतों को शामिल करने की कोशिशें होंगी पर इस साल इन स्रोतों में से कितनी फंडिंग आ पाएगी, यह भी नहीं पता है। इसके अलावा बजट भाषण में उन्होंने माल भाड़ा नहीं बढ़ाया पर यह पहले ही बढ़ा दिया गया। अब इसमें या तो वे कुछ और समायोजन करेंगे। यात्री किराया नहीं बढ़ाना, सामान्य श्रेणी के डिब्बों में भी मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट देना, महिला कोच में सीसीटीवी कैमरे लगाना, कुछ धन लेकर पानी उपलब्ध कराना, 400 स्टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराने जैसी घोषणाएं इस बजट को लोकप्रिय बजट की श्रेणी में रखती है। सभी घोषणाएं हैं तो अच्छी लेकिन पैसा लेकर पानी उपलब्ध कराने की बात समझ में नहीं आती। रेलवे पानी का खुद इस्तेमाल करता है तो उसे यात्रियों को मुफ्त पानी उपलब्ध कराने की बात करनी चाहिए बल्कि आरओ का पानी उपलब्ध कराना चाहिए। जहां तक स्टेशनों पर मुफ्त वाई-फाई की सुविधा की बात है तो यह सुविधा अच्छी तो बहुत है लेकिन इससे खर्चा बढ़ जाता है और मिलता कुछ भी नहीं है। दिल्ली रेलवे स्टेशन का उदाहरण सामने है। यहां हर महीने 17 हजार रूपए का खर्च आता है जिसे रेलवे भुगतती है। ज्यादातर लोग आधा घंटे की सीमा तक इस मुफ्त वाई-फाई का इस्तेमाल करते हैं, फिर अपना मोबाइल बंद कर देते हैं। इंटरनेट के कूपन तो यहां पर दो-चार ही बिकते होंगे। दूसरी बात, यह भी है कि जो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं वे इस किस्म का मोबाइल ले कर चलते हैं और उसमें नेट पैक रीचार्ज करके रखते हैं। ऐसा लगता है। कि रेलवे ऐसे लोगों को मुफ्तखोरी सिखाने की कोशिश कर रहा है। इस बजट में रेल मंत्री ने अपने भविष्य के कई प्रोजेक्शन बताए हैं। जिनसे रेलवे को दिशा दी जाएगी। उन्होंने कहा है कि वे रेलवे की स्थिति बताने के लिए एक श्वेत पत्र भी लेकर जाएंगे। दूसरा उन्होंने कहा है कि रेलवे को दिशा देने के लिए वे एक विजन डॉक्यूमेंट 2030 भी बना कर देंगे। अभी उन्होंने पांच साल का मोटा लेखा-जोखा बताया है। इसमें रेलवे की हालत सुधारने में खर्चा, सुरक्षा, आईटी आदि- आदि के लिए निवेश बताया है। इस बजट में सरकार की ओर से आय बढ़ाने के लिए मालगाड़ी के डिब्बों की भार वहन क्षमता बढ़ाने की कोई बात नहीं की गई है। इसी तरह मालगाड़ी के डिब्बों की संख्या में बढोतरी को ले कर भी कोई घोषणा नहीं की गई है। केवल इतने से ही रेलवे की आय में इजाफा होने की उम्मीद थी। सीमेंट, कोयला आदि की ढुलाई का भाड़ा बढ़ाने का प्रस्ताव है लेकिन इससे तो महंगाई ही बढ़ने वाली है। फ्रेट एंड लॉजिस्टिक कॉपोरेशन ऑफ इंडिया बनाने की बात कही गई है, इस तरह रेलवे में 70 फीसदी आय वाला हिस्सा इस कंपनी के खाते में चला जाएगा। जो 30 फीसदी आय का हिस्सा यात्री किराये से आता है, वह रेलवे के पास ही रहेगा। रेलवे के पुनर्गठन को ले कर लंबे समय से बातचीत जारी है और इसके लिए कमेटी भी बन गई लेकिन इस विजन डॉक्युमेंट में इस पुनर्गठन की बात का पूर्ण रूप से अभाव नजर आया। रेलवे विभागवाद के शिकंजे में है और इसे एक ही विभाग की आवश्यकता है। इस बात को रेलवे के कर्मचारी और अफसर सभी मानते हैं। लेकिन इस मामले पर उम्मीद के विप. रीत कोई प्रस्ताव नहीं आया।