दुनिया में सबसे प्रदूषित हुई राजधानी की हवा, NGT के जुर्माने का भी कोई असर नहीं

दर्द-ए-दिल्ली 


संवाददाता चेल्सी रघुवंसी 


नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली  मौजूदा समय में विश्व की सबसे प्रदूषित शहरों में सबसे शीर्ष पर है. यहां हवा की गुणवत्ता दिन पर दिन और खराब होती जा रही है. आलम यह है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल  द्वारा बीते सोमवार को राज्य सरकार पर लगाए गए 25 करोड़ रुपये के जुर्माने का भी कोई असर होता नहीं दिख रहा है. लोग आज भी बैगर किसी रोक-टोक के प्लास्टिक जला रहे हैं और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है. दिल्ली सरकार  ऐसे लोगों को रोक पाने में पूरी तरह से विफल दिख रही है. ध्यान हो कि राज्य में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी ने बीते सोमवार को ही आदेश ना मानने और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई न करने की वजह से दिल्ली सरकार  पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. इतना ही नहीं दिल्ली सरकार को एनजीटी का आदेश सही से लागू न करने की स्थिति में अतिरिक्त 25 करोड़ रुपये सिक्यूरिटी डिपोजिट के तौर पर भी जमा कराने को कहा गया था...



 


एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि दिल्ली सरकार अगर समय रहते हमारे आदेश को लागू नहीं करती है तो उनपर हर महीने दस करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार के लिए जुर्माने की रकम प्रदूषण फैलाने वालों और आदेश को सही तरह से लागू न करने वाले लापरवाह अधिकारियों से वसूल सकती है. बता दें कि दिल्ली में हवा की गुणवत्ता दिन पर दिन खराब होती जा रही है. शुक्रवार को भी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर है. राजधानी के सात इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है. जानकारी इसके लिए खराब मौसम को भी जिम्मेदार बता रहे हैं. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार राजधानी में हवा की गुणवत्ता 355 है. ..


इस वजह से बढ़ रहा है प्रदूषण..
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह तलाशने के लिए जब एनडीटीवी की टीम मुंडका के पास नीलवाल इलाके में गई तो उन्हें वहां के लोग नियमों को दरकिनार कर प्लास्टिक व अन्य चीजें खुलेतौर पर जलाते दिखे. इतना ही नहीं आग के आसपास से गुजरने वाले लोग प्लास्टिक थैलियां आग में फेंकते भी देखे गए. कई ट्रक आसपास के बाजार से कचरा उठाकर यहां डालते भी देखे गए.



जलते कूड़े की वजह से आसमान में काला धूंआ साफ तौर पर दिख रहा था लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं दिखी. बता दें कि वर्ष 2013 में एनजीटी ने दिल्ली में प्रदूषण कम करने और प्लास्टिक जलाने वालों को रोकने के लिए कानून बनाया था. ध्यान हो कि यह कोई पहला मौका नहीं जब एनजीटी ने बढ़ते प्रदूषण के स्तर को लेकर चिंता जताई है.