एमपी में तो 'कमल' ही खिले.......

Article by-सुरेश हिन्दुस्तानी



भाजपा को जुमले वाली पार्टी कहा जाता है तो एक जुमला और सही। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने कमलनाथ के हाथों सत्ता सौंप दी है तो भाजपा कह सकती है कि एमपी में भी आखिर 'कमल' ही खिले। अब बहस करते रहिए कि ये ‘कमल' भाजपा वाले नहीं हैं बल्कि कांग्रेस के बहुत जड़ीले नेता हैं। कमलाथ जी ने यह जंग बहुत संघर्ष बाद जीती है क्योंकि मध्य प्रदेश तो दूसरी तरफ सिंधिया को एक तरफ राहुल गांधी का समर्थन प्राप्त था तो दूसरी तरफ युवाओं के भी वे चहेते हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले में खड़ा करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ही हैं आध्र उनके संसदीय क्षेत्र गुना के दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव जीतने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी थी, फिर भी भाजपा के प्रत्याशी पराजित हो गये। इसका पूरा श्रेय ज्योतिरादित्य को ही दिया जाता है। इसलिए मुख्यमंत्री पद पर उनकी मजबूत दावेदारी थी। अब उन्होंने यदि राहुल गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी की बात मानकर समझौता कर लिया है तो इससे उनका कद भी बढ़ गया है। इसके साथ ही कमलनाथ जी का यह दायित्व भी है कि वे मुख्यमंत्री का दायित्व निभाते हुए यह भी यादरखें कि उन्हें इस कुर्सी तक पहुंचाने में पार्टी के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी योगदान है, सिंधिया का यह एहसान उन्हें मानना पड़ेगा। । लगभग दो दिन की माथा-पच्ची और मशक्कत के बाद मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नाम पर मुहर लग गयी और उनके प्रबल प्रतिद्वन्द्वी जयोतिरादित्य सिंधिया को इस बात के लिए समझा लिया गया कि भइया अभी तुम्हारे सामने बहुत समय है। लेकिन कमलनाथ जी 72 साल के हो चुके हैं। इन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ जाने दीजिए। ध्यान रहे इस तरह की बात पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी चुनाव से काफी पहले कही थी। उस समय राहुल गांधी के काफी निकट दिग्विजय सिंह हुआ करते थे। लोग कहे थे कि दिग्विजय सिंह ही राहुल गांधी को सलाह देते हैं। दिग्विजय सिंह ने ही सबसे । पहले ये मुहिम शुरू की थी कि राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाना चाहिए। उसी के दौरान राहुल गांधी ने युवाओं को आगे बढ़ाने के प्रयास में राजस्थान में सचिन पायलट और मध्यप्रदेश में जयोतिरादित्य सिंधिया को आगे बढ़ाया था। दोनों युवा नेताओं ने अपने-अपने राज्य में पार्टी को मजबूत भी किया। हालांकि राजनीति में अनुभव की भी जरूरत रहती है। इसलिए मध्यप्रदेश में चुनाव से ठीक पहले कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी। उस समय भी लोग यही कहते थे कि ज्योतिरादित्य को मुख्यमंत्री के लिए हरी झंडी मिल चुकी है। दिग्विजय ने तभी कहा था कि यह मौका कमलनाथ को मिलना चाहिए और सिंधिया अभी युवा हैं, वे तो कभी भी सीएम बन सकते हैं। राहुल और सोनिया को वही फैसला करना पड़ा। कमल नाथ का जन्म 1946 में कानपुर के खलासी लाइन इलाके में हुआ. पिता महेंद्र नाथ उद्योगपति थे और चाहते थे कि कमल नाथ बड़े होकर वकील बनें, मीडिया से बातचीत में कमल नाथ के साथ पढे और स्कूल के मित्र रहे आरके अवस्थी ने कहा, यह मेरे लिए और उन सभी के लिए जो उनके साथ पढ़े बहुत गर्व की बात है। कि उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना गया है। मध्य प्रदेश के एक संभ्रांत और बड़े उद्योगपति के रूप में पहचान रखने वाले कमल नाथ का परिवार कानपुर से पहले पश्चिम बंगाल शिफ्ट हुआ। उसके बाद मध्य प्रदेश जाकर बस गया। कमलनाथ को गांधी परिवार के विश्वासपात्रों में से एक माना जाता है। कमलनाथ की कांग्रेस में एंट्री संजय गांधी ने 1970 में करवाई थी. तबसे लेकर आज तक कमल नाथ गांधी परिवार के सबसे करीब हैं। आपातकाल के दौरान कमल नाथ के योगदान को देखते हुए नारा दिया गया था इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी और कमलनाथ इतना ही नहीं राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालने के पक्षधर नेताओं में भी कमल नाथ अव्वल थे। कानपुर में उन्होंने डीएवी कॉलेज में पढ़ाई की. उसके बाद सिविल लाइन्स के डीसी कॉलेज ऑफ लॉ से कानून की पढ़ाई की। लॉ की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यूथ कांग्रेस को ज्वाइन किया. कांग्रेस जिलाध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री के मुताबिक कमल नाथ हमेशा से ही एक्टिव नेता रहे हैं। वे एक अच्छे छात्र नेता थे. बाद में वे एक अनुभवी नेता के रूप में उभरे. उनके मुख्यमंत्री बनने पर कांग्रेस की जड़ें मध्य प्रदेश में एक बार और मजबूत होंगी। कानपुर के अलावा कमल नाथ का यूपी के एक अन्य शहर से भी उनका गहरा नाता है। उनकी पत्नी अलका सहारनपुर की रहने वाली हैं। उनका भतीजा राघव लखनपाल शर्मा सहारनपुर संसदीय सीट से बीजेपी सांसद है। कमलनाथ को 1970 में संजय गांधी ने कांग्रेस में शामिल कराया था. तब से ही उन्हें गांधी परिवार का वफादार माना जाता है। इमरजेंसी में उनकी भूमिका के बाद इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी और कमलनाथ का नारा काफी चर्चित हुआ था। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ के नाम का ऐलान कर दिया है। भोपाल और दिल्ली में गुरुवार दिनभर चली बैठकों के बाद देर रात कांग्रेस ने उनके नाम पर मुहर लगा दी. सीएम पद के लिए दो पीढ़ियों के बीच जारी रस्साकशी में कमलनाथ विजेता बनकर उभरे हैं।