कौन करेगा इन कातिल हवाओं को कैद .....?
Article byसंदीप मिश्रा 

 

मेरे शहर की हवाए कातिल है, खामोशी से कत्ल कर कत्ल का इल्जाम इंसान के माथे मढ़ इत्मीनान से बह जाती है, ये सांसों में शीशा बन दबे पांव उतरती है, सीने में जहर उड़ेल,दिल में नफरत, रगों में बेचैनी का तूफान खड़ा कर आम इंसान को हैवान गुनहगार बना रही है। जिन हवाओं में ज़हर का कहर समाया हो,उन्हें सांसो से सीने में सजा आखिर कब तक कोई मासूम इंसान इंसानियत को बचा पाएगा? ममता, मानवता, प्रेम, प्यार, परवरिश सब पर भारी है मेरे शहर की कातिल हवा,इस कातिल हवा को क़ैद कौन करेगा ? 


        

जहर भरी हवाओं के आगोश में छटपटाता बचपन,झुंझलाती जवानी,और जार -जार होता बुढ़ापा इस कहरे हवा से पनाह मांग रहा है। हवा का ये आतंक बड़े मौज से झगड़ालुओ की फौज दिल्ली में खड़ी कर रहा है, ये जहरीली हवा बेरोक टोक सांसो की राह से दिलो दिमाग में दस्तक दे ,रोजी रोटी कमाने घर से,दफ्तर निकले राह पर चलने वाले, साथ- साथ काम करने वाले आसपास रहने वाले किसी को नहीं बख्श रही है। इस धुंए के गुबार का धुंध इस कदर मेरे शहर के इंसान में भर रहा है कि वह सांस दर सांस मर रहा है।  यह शब्दों की महज बाजीगरी नही सच्चाई का आईना,आंकड़ों का आकलन भी है।इन जहरीली हवाओ का दबाव सड़को पर रोडरेज की रूप में फट रहा है। दिल्ली रोडरेज की घटनाओं की राजधानी बन गई है। बीस हज़ार से लोग दिल्ली की सड़कों पर रोडवेज के शिकार हुए हैं। मनोचिकित्सक इसे ट्रैफिक दबाव के साथ हवा में बेह रहे बढ़ रहे शीशे के कारण बढ़ते रक्तचाप पर केंद्रित करते हैं, ट्रैफिक में फंसे लोग जहरीली हवा से घिरे होने के कारण आपा खो देते हैं, अपनी गलती नहीं मानते नतीजा जिंदगी जिंदगी से भिड़ लहूलुहान हो जाती है और कुछ की तो सांसे भी आखिरी सफर तय कर लेती है।  

 

नजर डालिए सन 2010 में रोडरेज की 36 घटनाएं 2011 में 37, 2012 में 36, 2013 में 53,  2014 में 93 और 2015 में 120 रोडरेज के शर्मनाक जानलेवा हादसे दिल्ली के सड़कों पर दर्ज हुए जो पुलिस का आंकड़ा बोलता है।    


 

 आलम यह है कि हर दिन 55 लोग दिल्ली की सड़कों पर रोडरेज का शिकार हो रहे हैं,जबकि देश में तीन लोग हर दिन सड़क के तांडव का शिकार हो रहे है इस लोक से परलोक सिधार रहे हैं। यह प्राणवायु देश की राजधानी दिल्ली में दमघोटू से प्राणघातक हो गई है। बीती दिवाली पर हवा का खतरनाक स्तर जो 571 के गम्भीरतम स्तर तक पहुंचा था, यह हवा का गुबार दिल्ली में अभी भी इसी गंभीर और खौफ़नक मानस के आसपास ही बह रहा है। मातम, मानवता के कत्ल का कारण कारण बन रही है। दिल्ली के धीरपुर में हवा गंभीरता का स्तर 535 है,पीतमपुरा में 533, दिल्ली विस्वविधालया और मथुरा रोड पर 530 के खतरनाक स्तर पर बह रही है यह बेख़ौफ़ जहर भरी हवा।जिसे गंभीर से गंभीरतम कहा जा रहा है। ये अदृश्य हवा इंसान में बेचैनी भर कातिल बना रही है। 

 

 दिल्ली के दूध में जहर, दिल्ली की सब्ज़ी में जहर, दिल्ली के खाने के सामान पीने के पानी में जहर और अब सांस लेने वाली हवा में भी जहर वाकई दिल्ली वालों का दिल बहुत बड़ा है इतना पचा, चुप चाप बिना शिकायत  जी रहा है और हवाएं कातिल हो गुनाह को अंजाम दे रही है,इंसान को कातिल बना रही है।कौन सुनेगा दिल्ली वालों की बेबसी?कौन इस आफत से राहत कौन करेगा इस हवा के खिलाफ संग्राम लाचार नज़र तलाश रही है उस नायक को इस कातिल हवा को कैद कर ले।