क्यों मनाया जाता है सशस्त्र बल झंडा दिवस?, जानिए झंडा फहराने के नियम और कानून

दर्द-ए-दिल्ली 


संवाददाता-कमल पवार 


सशस्त्र बल झंडा दिवस या आर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे हर साल 7 दिसंबर को मनाया जाता है. सशस्त्र बल झंडा  दिवस या झंडा दिवस  भारतीय सशस्त्र सेना के कर्मियों के कल्याण के उद्देश्य से मनाया जाता है. इस दिन भारत की जनता से सशस्त्र बल  के कर्मियों के लिए धन संग्रह किया जाता है, इस धन का प्रयोग सैनिकों के परिवारों की भलाई के लिए खर्च किया जाता है. सशस्त्र बल झंडा दिवस  की मनाने की शुरुआत 7 दिसंबर 1949 से हुई थी. 1949 से हर साल 7 दिसंबर को सशस्‍त्र बल झंडा दिवस मनाया जाता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा समिति ने युद्ध दिग्गजों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए सात दिसंबर को सशस्‍त्र बल झंडा दिवस मनाने का फैसला लिया था. सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर हुए धन संग्रह के तीन मुख्य उद्देश्य है. पहला युद्ध के समय हुई जनहानि में सहयोग, दूसरा सेना में कार्यरत कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण और सहयोग हेतु और तीसरा सेवानिवृत्त कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण हेतु. इन दिन इंडियन आर्मी  इंडियन एयर फोर्स और इंडियन नेवी  तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करती है. कार्यक्रम से संग्रह किया गया धन ‘आर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे फंड' में डाल दिया जाता है. आज झंडा दिवस के मौके पर हम आपको झंडा फहराने से जुड़े नियम और कानून बताने जा रहे हैं.. 


                                            


झंडा  फहराने के नियम और कानून


1. तिरंगा हमेशा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता है.

2. तिरंगे को कभी झुकाया नहीं जाता, न ही जमीन पर रखा जाता है. आदेश के बाद ही सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराया जा सकता है.


3. झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता, झंडे को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुचाया जाता है. झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं.


4. तिरंगे  का आकार आयताकार होना चाहिए. इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए.

5. तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए.

6. केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके तिरंगा फहराना गलत है.


7. तिरंगे को हमेशा अपने पास की सबसे ऊंची जगह पर फहराना चाहिए.

8. तिरंगे  का इस्तेमाल किसी कार्यक्रम में मेज को ढकने या मंच को सजाने में नहीं किया जाता है.


9. कभी भी फटा या मैला-कुचैला तिरंगा नहीं फहराया जाता है. झंडा फट जाए, मैला हो जाए तो उसे एकांत में आग में जला देना चाहिए या अन्य किसी तरीके से नष्ट करना चाहिए, ताकि उसकी गरिमा बनी रहे. झंडे को पवित्र नदी में जल समाधि भी दी जा सकती है.

10. तिरंगे के कपड़े बनाकर पहनना गलत है. तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर इस्तेमाल करना तिरंगे का अपमान है.