राजधानी में 12 हजार मकानों पर फिर लटकी तलवार....

Reported by :- संदीप कुमार 


नई दिल्ली : बारह हजार मकान टूटेंगे या बचेंगे यह मुद्दा फिर से तुगलकाबाद में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस चर्चा का कारण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा पुलिस को साथ लेकर तुगलकाबाद में सर्वे शुरू कराया जाना है। लोगों से उनके मकानों के बारे में दस्तावेजों की डिटेल ली जा रही है। जिससे यह पता चल सके कि वे यहां कितने साल से रह रहे हैं। एएसआइ यह सर्वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू किया गया है।



एएसआइ का दावा है :-


जिस जमीन पर गांव का विस्तार हुआ है वह जमीन उसकी है। इस जमीन पर 12 हजार से भी अधिक मकान बन गए हैं। 2011 व 12 में भी इस जमीन को खाली कराने के प्रयास हुए थे। मगर मामला बीच में ही लटक गया था। क्योंकि उस समय कुछ लोग केंद्र सरकार के पास चले गए थे। केंद्र सरकार के दबाव में यह कार्रवाई नहीं हो सकी थी।


एएसआइ का कहना है :-


कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है। जिसमें कोर्ट ने सर्वे कराने के लिए कहा है। एएसआइ पिछले एक माह से सर्वे करा रहा है। जिसमें 300 के करीब ही मकानों का सर्वे अभी हो सका है। माना जा रहा है कि इस कार्य में समय लग सकता है। सर्वे कराने के बाद एएसआइ रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में सौंपेगा। जिसके आधार पर तय होगा कि यहां के मकानों को क्या फैसला लिया जाए।


साढ़े छह किलोमीटर में फैला हुआ था तुगलकाबाद का रकबा :


दक्षिणी दिल्ली के महरौली से बदरपुर मार्ग पर कभी तुगलकाबाद किला का रकबा साढ़े छह किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ था। एएसआइ के अनुसार उसकी 800 बीघे जमीन पर अवैध कब्जा हो गया। 2001-2002 में इस जमीन को खाली कराने के लिए कार्रवाई शुरू की। 350 बीघा जमीन खाली हुई थी कि उसी समय इस कार्रवाई के विरोध में कुछ लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर हाई कोर्ट ने गांव के लोगों के पक्ष में स्टे दे दिया। इसके बाद खाली कराई गई 350 बीघा जमीन पर फिर से कब्जा हो गया। एएसआइ इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय चला गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने आठ सितंबर 2011 को अपने आदेश में इस जमीन से स्टे हटा दिया और दो माह में इस जमीन को खाली कराने के लिए कहा।