राजनीति में राज ही बचा है, नीति-नैतिकता नहीं ...

Artical by :- संदीप लाम्भा



अब राजनीति में राज ही बचा है। नीति-नैतिकता और शर्म खत्म होती जा रही है जिसका सबूत राजस्थान राज्य में वरिष्ठ नेता शरद यादव ने-मध्यप्रदेश की बेटी को आराम दो,बहुत मोटी हो गई है, कहकर दिया है। विवादित बयानों से पुराना नाता रखने वाले शरद यादव भी दूध के धुले नहीं हैं। तो बाकी नेता भी नहीं, इसलिए इनको पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के बारे में अपने बोलने से पहले शब्दों को तौलना था पर ऐसा नहीं किया। किसी पद पर आसीन महिला हो या सामान्य व्यक्ति,उसके बारे में किसी भी व्यक्ति को ऐसी टिप्पणी की आजादी नहीं होनी चाहिए। यह सत्ता की खातिर राजनीतिक विरोध नहीं,अभद्रता और निजी जीवन पर टिप्पणी है। जनता शरद यादव को कैसा आईना दिखाएगी, यह भी जल्दी ही सामने आएगा लेकिन यह बात तय है कि अब सभी दल के नेता चुनावा. में शीर्ष से नीचे तक टिप्पणियों से अछूते नहीं हैं। खुद मुद्दों से भटकते-और जनता को भटकाते हुए नेताओं–प्रत्याशियों के निजी जीवन पर कुछ बोलना कहाँ की नेतागिरी और प्रचार है। उनका राजनीतिक सार्वजनिक जीवन है, उस पर बोलने के बजाय बेशर्म होकर शारीरिक टिप्पणी बेहद निंदनीय है। भाजपा ही नहीं,कांग्रेस को भी ऐसी राजनीतिक भूख से दूर रहना चाहिए जो किसी के निजी सम्मान को आहत करे। याद कीजिए कि इन्हीं श्री यादव ने पिछले साल कहा था कि वोट की इज्जत बेटी की इज्जत से बड़ी होती है। इस बात पर जब हंगामा हुआ तो अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि जैसे लोग बेटी से प्यार करते हैं, वैसा ही उन्हें वोट से भी प्यार करना चाहिए। ऐसे ही शरद यादव ने कांवड़ियों पर विवादित टिप्पणी की थी। तब बोले थे कि इनकी भीड़ देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में कितनी बेरोजगारी है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और जेडीयू के नेता रहे शरद यादव की राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर इस विवादित टिप्पणी का जनता को भी अवश्य जवाब देना चाहिए ताकि देशभर में इसका बेहतरीन सन्देश जाए। राजस्थान के अलवर में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन शरद यादव ने कांग्रेस गठबंधन के समर्थन में चुनावी सभा में जब यह टिप्पणी की तो टिप्पणी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जोरदार ढंग से वायरल हुआ। वीडियो में इस बयान पर कई लोगों ने नाराजगी भी जताई है। मुद्दे से भटकते नेताओं के ऐसे बेशर्म बोल अन्य राज्यों के चुनावों में देखे-सुने गए हैं। जिसका विरोध । आमजन यानी मतदाता को करना चाहिए। किसी भी दल एवं नेता को । जनता सहित किसी भी दल के नेता और महिला नेत्रियों पर इस तरह बोलने का अधिकार संविधान में भी नहीं है तो इसकी उचित खिलाफत की ही जानी चाहिए, वरना इनका हौसला और बढ़ेगा।