यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने कांग्रेस पर साधा निशाना,कहा- इस वजह से नहीं हो पाई थी राफेल डील

 Reported by :- प्रिया शर्मा 


नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राफेल मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर एक बार फिर हमला बोला है. योगी आदित्यनाथ (ने कहा कि 2007 में सबसे पहले कांग्रेस ने ही इस डील को प्रस्तावित किया था लेकिन तब वह ऐसा कोई बिचोलिया नहीं ढूंढ़ पाई जो उसके हक में इस डील को तय करा पाए. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में थी तब जितने भी रक्षा समझौते किए गए उनमें बिचौलियों ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी. चाहे बात ओत्तावियो क्वात्रोक्की की हो या फिर अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील मामले की जिसमें क्रिश्चियन मिशेल बिचौलिये थे. राफेल मामले  में डील तय करने में देरी इसी लिए हुई क्योंकि कांग्रेस को कोई ढंग का बिचौलिया नहीं मिला.सीएम योगी  ने यह बात गुवाहाटी में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में की.  वह यह बीजेपी के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे.



उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला. गौरतलब है कि पिछले सप्ताह  राफेल सौदे पर आरोपों से घिरी रही मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी है. राफेल डील पर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने एकमत से अपने फैसले में राफेल सौदे को लेकर सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं और मोदी सरकार को पूरी तरह से क्लीन चिट दे दी है. बता दें कि राफेल पर मोदी सरकार काफी समय से घिरी थी और विपक्ष ने इसे चुनावी हथियार बनाया था...



सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस सौदे को लेकर कोई शक नहीं है और कोर्ट को इस मामले में अब कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है. कोर्ट ने साथ में यह भी कहा है कि विमान खरीद प्रक्रिया पर भी कोई शक नहीं है. कोर्ट ने कहा कि हमने राष्ट्रीय सुरक्षा और सौदे के नियम कायदे दोनों को जजमेंट लिखते समय ध्यान में रखा है. कोर्ट ने कहा था कि कोई शक नहीं कि विमान हमारी ज़रूरत हैं और उनकी गुणवत्ता पर भी सवाल नहीं है. बता दें कि राफेल सौदे की जांच के मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ फैसला सुनाया.



इस मामले में मनोहर लाल शर्मा, विनीत ढांडा, आम आदमी पार्टी के सासंद संजय सिंह, प्रशांत भूषण, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा की याचिकाओं पर फैसला सुनाया गया. इन याचिकाओं में राफेल सौदे की कीमत और उसके फायदों की जांच कराने की मांग की गई थी और कहा गया था कि ज्यादा कीमतों पर डील हुई और गलत तरीके से ऑफसेट पार्टनर चुना गया. इसलिए डील को रद्द किया जाए.