Posted by-कमल पवार
वो दिन था 4 जुलाई, 2017 का, जब तिरुवनंत माला के जिला कलेक्टर को 13 साल की नंदिनी नागराजी ने फोन किया। बेहद डरी हुई नंदिनी ने फोन पर अफसर को बताया कि उसपर खुद से दोगुनी उम्र वाले आदमी से शादी करने का दबाव बनाया जा रहा है। उस वक्त नंदिनी कक्षा नौ में थी और आगे की पढ़ाई करना चाहती थी। उसकी तलाश शुरू की गई और उसे बचा लिया गया। इसके बाद उसे चिल्ड्रन होम भेजा गया। उसकी आत्मविश्वास से भरी कहानी आज भी लोगों के लिए मिसाल बनी हुई है।
इस घटना के करीब 6 महीने बाद जब केंद्र सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना नंदिनी के जिले तक पहुंची तो जिला प्रशासन ने 'नो चाइल्ड मैरेज' कैंपेन के लिए नंदिनी का चेहरा और आवाज चुनी।
राष्ट्रीय बालिका दिवस और बीबीबीपी की सालगिराह के मौके पर दिल्ली में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नंदिनी ने अपनी कहानी साझा की। अभी 11वीं कक्षा में पढ़ रही नंदिनी का कहना है कि "मैं अपनी कहानी बार-बार बताऊंगी क्योंकि ये मेरे लिए बोलना जरूरी है ताकि और नंदिनी को बचाया जा सके।" नंदिनी भविष्य में आईएएस अफसर बनना चाहती है।
नंदिनी के माध्यम से चलाए गए अभियान को काफी सफलता मिली। नंदिनी की ही तरह बाकी बच्चों का जागरुक रहना भी जरूरी है। उसने कभी कलेक्टर से मुलाकात नहीं की थी लेकिन जब वो कक्षा आठ में थी तो कक्षा में कुछ पैम्फलेट बांटे गए थे, जिसमें वो सभी जरूरी नंबर लिखे थे जिनपर मुसीबत के समय बच्चे फोन कर सकें।
नंदिनी ने बताया, "जब मेरी शादी होने वाली थी तो उससे एक दिन पहले मैं मदद चाहती थी और स्कूल की किताबों से पैम्फलेट ढूंढने लगी। मदद खुद मुझ तक आई और आज मैं आजाद हूं।" नंदिनी का कहना है कि उसकी मां की मौत के बाद उसके पिता ने उसे छोड़ दिया। फिर उसकी मामी जबरन उसे शादी के लिए मजबूर करने लगी।
बच्चों के राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1098 पर फोन करने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन कई बार लड़कियां अपना नाम और अन्य जानकारी नहीं देतीं, जिससे स्थानीय अधिकारियों को मदद पहुंचाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस और बीबीबीपी की सालगिराह के मौके पर दिल्ली में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नंदिनी ने अपनी कहानी साझा की। अभी 11वीं कक्षा में पढ़ रही नंदिनी का कहना है कि "मैं अपनी कहानी बार-बार बताऊंगी क्योंकि ये मेरे लिए बोलना जरूरी है ताकि और नंदिनी को बचाया जा सके।" नंदिनी भविष्य में आईएएस अफसर बनना चाहती है।
नंदिनी के माध्यम से चलाए गए अभियान को काफी सफलता मिली। नंदिनी की ही तरह बाकी बच्चों का जागरुक रहना भी जरूरी है। उसने कभी कलेक्टर से मुलाकात नहीं की थी लेकिन जब वो कक्षा आठ में थी तो कक्षा में कुछ पैम्फलेट बांटे गए थे, जिसमें वो सभी जरूरी नंबर लिखे थे जिनपर मुसीबत के समय बच्चे फोन कर सकें।
नंदिनी ने बताया, "जब मेरी शादी होने वाली थी तो उससे एक दिन पहले मैं मदद चाहती थी और स्कूल की किताबों से पैम्फलेट ढूंढने लगी। मदद खुद मुझ तक आई और आज मैं आजाद हूं।" नंदिनी का कहना है कि उसकी मां की मौत के बाद उसके पिता ने उसे छोड़ दिया। फिर उसकी मामी जबरन उसे शादी के लिए मजबूर करने लगी।
बच्चों के राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1098 पर फोन करने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन कई बार लड़कियां अपना नाम और अन्य जानकारी नहीं देतीं, जिससे स्थानीय अधिकारियों को मदद पहुंचाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।