चुनावी मोड में हरियाणा, बिछने लगी रणनीतिक विसात

reported by -रेनुका राजपूत


 जैसे रुझान दिख रहे हैं, उसके आधार पर कहें तो भाजपा का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन बुरा हो सकता है। हाल ही में पांच महत्त्वपूर्ण प्रदेशों के विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने तीन प्रदेश भाजपा से छीन लिए। मिजा. रम और तेलंगाना में भी भाजपा की स्थिति अच्छीनहीं रही हालांकि सूत्रों की मानें तो भाजपा ने भले इन दोनों प्रदेशों में अपने उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन तेलंगाना में केसीआर के नेतृत्व वाली पार्टी टीआरएस तथा मिजोरम में मिजो कायदे से हरियाणा विधानसभा का चुनाव तो लोकसभा चुनाव के बाद होना है। इस बीच राजनी, तिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि सत्तारूढ़ दल हरियाणा विधानसभा चुनाव भी लोकसभा के साथ ही करा लेना चाहता है। तर्क कई दिए जा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा या पुष्टि नहीं हो पायी है। चुनाव जब भी हो लेकिन राजनीतिक दलों ने हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी प्रारंभ कर दी है। सरसरी तौर पर देखें तो प्रदेश में तीन राजनीतिक शक्तियां हैं। एक भारतीय जनता पार्टी जो फिलहाल सत्तारूढ़ है और अभी भी अन्य दलों की तुलना में संगठित और मजबूत दिख रही है। दूसरी पार्टी कांग्रेस है। फिलहाल प्रदेश में कांग्रेस साफ तौर पर कमजोर दिख रही है। कमजोर इसलिए नहीं कि उसके पास कार्यकर्ताओं की कमी है या फिर वह जनाधार के मामले में कमजोर है अपितु कांग्रेस कमजोर इसलिए दिख रही है कि इसके नेता आपस में ही एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चे पर डटे हैं। खैर, तीसरी राजनीतिक शक्ति समाजवादी पृष्ठभूमि की पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इंडियन नेशनल लोक दल है। पहले तो यह दल बेहद प्रभावशाली दिख रहा था Haryana Election 2019 बीते विधानसभा चुनाव में अच्छी खासी सीटें भी ले गया और कांग्रेस की तुलना में उसका प्रदर्शन भी अच्छा रहा लेकिन विगत कुछ दिनों से चौटाला परिवार आपस में ही उलझ गया है। उलझन साधारण नहीं है। ओम प्रकाश चौटाला ने अपने सांसद पोते, दुष्यंत चौटाला को पार्टी से निकाल दिया। अब सिरसा के सांसद दुष्यंत चौटाला अपनी नई पार्टी के प्रधान हैंइस लिहाज से देखें तो प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी बेहद संगठित और मजबूत है। ऐसे में आसन्न विधानसभा चुनाव में पार्टी अच्छी भूमिका में रहेगी, ऐसी पूरी संभावना है। समुचित तौर पर इसकी कम गुंजाइश है कि भाजपा विधानसभा चुनाव में हारेगी लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले लोकसभा का चुनाव होना है।नेशनल फ्रंट को अंदरखाने सपोर्ट किया था। यही कारण है कि दोनों पार्टियों के नेता अब भाजपा के साथ खड़े दिख रहे हैं। पांच प्रदेश के विधानसभा चुनाव ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा का जनाधार बड़ी तेजीसे खिसक रहे है