चुनावी रण में राहुल का प्रियंका कार्ड...

REPORTED by :- रेनुका राजपूत 


नई दिल्ली



प्रियंका गांधी वाड्रा को सक्रिय राजनीति में उतारने का एलान कर कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2019 के रण में अपना ट्रंप कार्ड चल दिया है। कांग्रेस महासचिव के रूप में सियासत में उतरीं प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। संभवत: वह फरवरी के पहले हफ्ते में नई जिम्मेदारी संभाल लेंगी। सूबे में अगड़ी जातियों विशेषकर ब्राह्मणों को साधने की रणनीति के तहत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रियंका पर यह दांव लगाया है। उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सीधे चुनौती देने का साफ संदेश दिया है। इसे कांग्रेस के फ्रंट फुट पर खेलने की रणनीति बताकर राहुल ने पार्टी के इन इरादों को जाहिर भी कर दिया। इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को पहली बार कांग्रेस महासचिव बनाते हुए उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। इन दोनों युवा चेहरों को सियासी रण में उतारकर कांग्रेस ने केवल भाजपा ही नहीं, बल्कि सपा-बसपा के मजबूत माने जा रहे गठबंधन की भी चुनौती बढ़ा दी है।



 


राहुल ने उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन में जगह नहीं मिलने से परेशान पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं को प्रियंका की सियासी इंट्री का ‘टॉनिक’ दे दिया है। प्रियंका के सीधे राजनीति में आने की चर्चा वैसे तो लंबे समय से होती रही है, मगर कांग्रेस और राहुल के लिए यह सबसे निर्णायक और नाजुक समय है। भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन की लड़ाई में चुनावी अखाड़े से बाहर होने की चुनौती का सामना कर रही कांग्रेस के लिए इसके सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं था। इसलिए बुधवार को राहुल गांधी ने इधर अमेठी दौरे की शुरुआत की तो उधर दिल्ली में उसी वक्त कांग्रेस ने प्रियंका और ज्योतिरादित्य को महासचिव बनाने की घोषणा की।



प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपना केवल इस लिहाज से अहम नहीं है कि मोदी का चुनाव क्षेत्र वाराणसी और आदित्यनाथ की सियासी कर्मभूमि गोरखपुर इसमें आते हैं। पूर्वाचल इसलिए भी अहम है कि ब्राह्मण मतदाताओं की निर्णायक भूमिका वाले इस इलाके की आजमगढ़ को छोड़कर लगभग सभी सीटें 2014 में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने जीती थी। ऐसे में प्रियंका के लिए भी भाजपा की जमीनी पकड़ और सपा-बसपा के सामाजिक समीकरणों की ताकत में सेंध लगाते हुए उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की वापसी कराना आसान चुनौती नहीं है। खासकर, यह देखते हुए कि वह रायबरेली और अमेठी से आगे सियासी रूप से सक्रिय नहीं रही थीं, मगर अब इन दोनों सीटों समेत करीब 40 लोकसभा सीटों की सीधी जिम्मेदारी उन पर होगी। इन सीटों पर 2019 में कांग्रेस का चुनावी प्रदर्शन जाहिर तौर पर प्रियंका के लिए भी राजनीति में आने के तत्काल बाद की सबसे बड़ी परीक्षा है।