मुस्तफाबाद में शिक्षा का नाम आएगा तो सुहैल सैफी को जाना जाएगा

REPORTED BY :- दिनेश सोलंकी


पूर्वी दिल्ली : मुस्तफाबाद मुस्लिम बहुल इलाका होने के साथ ही सघन आबादी वाला क्षेत्र है। सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दिया था, लेकिन इस इलाके में रहने वाला एक युवा इस नारे को अपने जीवन का लक्ष्य मानकर मेहनत करता रहा। मुस्तफाबाद में शिक्षा का नाम आते ही लोगों की जुबान पर सुहैल सैफी का नाम आ जाता है। सुहैल ने उस इलाके में लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया, जहां पर लड़कियों का घर के बाहर पैर रखना भी सख्त मना था। वहां पर लड़कियों को स्कूल की पढ़ाई एक तरह से मना थी। अंधेरा चाहे जितना घना क्यों न हो, सूरज की एक किरण से अपने आप छट जाता है। यह बात यहां सटीक बैठती है। मुस्तफाबाद में अब लड़कियों को उनके परिजन ही शान से स्कूल छोड़कर आते हैं, क्योंकि उन्हें इस बात का एहसास करवाया गया कि शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है।



सुहैल ने बताया कि वह मुस्तफाबाद इलाके में रहते हैं और यह इलाका मुस्लिम बहुल है। यहां लड़कियों को दीनी तालीम तो दी जाती थी, लेकिन जब दुनियावी तालीम की बात आती थी तो उनपर पाबंदी लगा दी जाती। यह देखकर उन्हें अजीब लगता। उन्होंने कॉलेज में पढ़ाई जारी रखने के साथ यह ठाना की वह लड़कियों को शिक्षित करेंगे और उनका हक दिलवाकर रहेंगे। 2002 में वह गाजियाबाद के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान उन्होंने मुस्तफाबाद इलाके में रहने वाले छात्रों को पढ़ाना शुरू किया। पढ़ाई के लिए आने वाले छात्रों से कहा कि वह बहन या दोस्तों को भी लाना शुरू करें, लेकिन कोई नहीं लाया। तब वह अपने पड़ोसियों और इलाके में रहने वाले अन्य लोगों से जाकर मिले और कहा कि अपनी बेटियों को पढ़ाना शुरू करें। एक साल तक कोशिश करने के बावजूद कुछ ही लोगों ने अपनी बेटियों को ट्यूशन के लिए भेजा। जब वह ट्यूशन पढ़ने लगी तो उनके परिवार वालों ने उनका दाखिला स्कूल में करवाया।


महिला आयोग के साथ करते हैं काम:


सुहैल ने बताया कि 2004 में सौफिया नामक एक संस्था का गठन किया। वह संस्था के माध्यम से दिल्ली के कई इलाकों में शिक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं। दिल्ली महिला आयोग और अल्पसंख्यक आयोग के साथ मिलकर भी वह शिक्षा जगत में कार्य कर रहे हैं। शिक्षा के अलावा महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारियां देते हैं। उन्होंने कहा महिलाएं तब ही अपने अधिकारों को पहचान पाएंगी, जब वह खुद शिक्षित होंगी।