पुलिसकर्मी होना कोई आसान बात नही,सारे सपने दिल में दफन करना, हर किसी के बसकी बात नही।

Written  by :- निकिता कश्यप 



आज हम ऐसे समाज के बीच रह रहे है, जहां हर व्यक्ति कामयाबी हासिल करना चाहता है और चाहत हो भी क्यों न, यदि कामयाब नही होंगे तो इच्छाओं की पूर्ति कैसे करेगे? हमारी जिंदगी में एक न एक दिन ऐसा जरूर आता है। जब हमारी मेहनत और लग्न से हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर लेते है और अपनी मेहनत के अनुसार मिली नौकरी से सन्तुष्ट हो जाते है। जिसके बाद हम अपनी और अपने परिवार की इच्छाओं की पूर्ति और भविष्य की योजना बनाते है। लेकिन आज मैं कुछ ऐसे लोगो के बारे में बताने जा रही हूं जो अपने लिए नही या केवल अपने परिवार के लिए नही बल्कि अपने पूरे देशवासियों की रक्षा के लिए नौकरी करते है। इस रक्षक और निडर मानव को हम सभी पुलिस कहते है। पुलिस नियम कानून की परिभाषा है।  पुलिस अपराधों का गहन अध्ययन है, जिज्ञासा है। पुलिस जनता की सेवा के लिए त्योहार व परिवार सब छोड़  देती है। पुलिसकर्मी की पत्नी करवा चौथ का व्रत भी फोटो देखकर खोलती है।



पुलिस वो मानव है जो मानव नही समझी जाती, उनका भी मन होता है कि वे सुबह उठकर मोर्निंगवॉक पर जाए, अपनी बूढ़ी माँ के पैर दबाकर आशीर्वाद लें यही नही त्योहारों पर जहां घर बाजार लाइटों से सजे होते है, वही ये अपने घर के कमरे में जला एक बल्व भी बुझाकर हमारी दिवाली के दीये जलाने की चिन्ता कर शान्ति और सुरक्षा के लिए  अपना कर्त्वय निभाते है। जब कोई भी प्राकृतिक आपदा, या अन्य आपदा या कोई भयानक बम या विस्फोट हो तो उस जगह सबको दूर रख करके रास्ता बंद कर दिया जाता है, मगर पुलिसकर्मी उसी रास्ते पर जाकर प्राणों की परवाह ना करके हमारी रक्षा करते है। ये ऐसे मानव है जिन्होंने हर किसी को अपनाया है। सडक पर हुई दुर्घटना में गंभीर घायल हो या फिर किसी हादसे में भयानक मौत हो, उस स्थित में पीडित या मृतक इंसान को लोग उठाने की बात तो दूर हाथ तक नही लगाते। ऐसी स्थित में पुलिसकर्मी को ही सारा काम करना होता है।



जिन इंसानों से सब नफरत करते है इन्होंने उनको अपनाया है। दुर्घटना में प्राण गवां जिन लोगो को अपने नही अपनाते इन्होंने उन लोगों को दफनाया है। पुलिस गली-गली व गांव-गांव और शहर-शहर है।  पुलिस जनता की सेवा मे हाजिर आठों पहर है। पुलिस एक ऐसा पद है जिस पर जिम्मेदारियों का भार होता है। जिसके चलते इन्हें खुद से ज्यादा दूसरा का ख्याल रखना होता है। पुलिस एक ऐसा मानव है जो जनता के रक्षक और अपराधी के लिए भक्षक समान है।



पुलिस की भूमिका की समझ विभिन्न वर्गों, समूहों और सामाजिक स्तर के साथ बदल जाती है। विद्यार्थी, श्रमिक, पत्रकार, वकील, जन-प्रतिनिधि, प्रतिष्ठित व्यक्ति-सभी पुलिस से अपनी सोच के अनुरूप अपेक्षाएं रखते हैं। इसके परिणामस्वरूप पुलिस को अपनी भूमिका में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अन्य सरकारी कर्मचारियों की तुलना में पुलिस का कार्य महत्वपूर्ण होता है। अक्सर हर त्योहार पर सरकारी कर्मचारियों का अवकाश होता है लेकिन ये वो मानव है जिसे जरुरत पडने पर भी अवकाश नही मिल पाता।