शव की शिनाख्त नहीं हुई और दूसरे को दे दिया मुआवजा..

Reported by :- चेल्सी रघुवंसी 


नई दिल्ली


बवाना में हुए भीषण अग्निकांड मामले में हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। हाई कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि शव की शिनाख्त किए बगैर ही दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने किसी अन्य व्यक्ति को पांच लाख की मुआवजा राशि जारी कर दी। याचिका का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने जहां पीड़िता के परिजनों को 15 दिन के भीतर मुआवजा राशि जारी करने के आदेश दिए। वहीं, मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए।



मार्च 2018 में हुए भीषण अग्निकांड में अधिवक्ता ऋषिपाल सिंह व अधिवक्ता संजीव ओझा के माध्यम से दायर याचिका में आपराधिक मामला दर्ज कर जांच करने की मांग की गई है। याचिका के अनुसार घटना के बाद मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल ने परिजनों को पांच-पांच लाख मुआवजा देने की घोषणा की थी। मेट्रो विहार बवाना निवासी हरचरण की तरफ से दायर की गई याचिका के अनुसार उनकी बहन रीमा के शव की शिनाख्त नहीं हो सकी थी। पुलिस ने शव की पहचान के लिए परिवार का डीएनए टेस्ट कराया और इसके बाद पीड़िता की पहचान रीमा के तौर पर हुई। याचिका में दावा किया गया कि शव की पहचान होने के बाद जब परिजन मुआवजा लेने के लिए एसडीएम, डीएम और तहसील के अधिकारियों से मिले तो पता चला कि मुआवजे की राशि किसी धर्मा देवी के परिजनों को जारी कर दी गई है, जो घटना में पीड़ित भी नहीं था। याचिका के अनुसार घटना के दिन धर्मा देवी भी उस अस्पताल में भर्ती थी और उसी दिन उसकी मृत्यु हो गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता मुआवजे के संबंध में अधिकारियों से कई बार मिले, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराकर जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की गई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने माना कि उनकी तरफ से मुआवजा गलत व्यक्ति को जारी कर दिया गया था और उस व्यक्ति से रिकवरी की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी ने 15 दिन में पीड़ित परिवार को मुआवजा जारी करने और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए।