स्मृतिशेष हो गयीं महान विभूतियां

स्मृतिशेष हो गयीं महान विभूतियां 


आलोक शर्मा


हम जानते है कि इस नश्वर संसार में जो आज हैं, उसे कल नष्ट होना पड़ सकता है। जीवन और मृत्यु का आवागमन शाश्वत है। बीते वर्ष हमारे देश की कई महान विभूतियां स्मृति शेष बन गयीं हैं। उनके क्रिया कलाप हमें प्रेरणा देते हैं। नव वर्ष के पहले ही दिन हमारे देश में 60 हजार बच्चों ने जन्म लिया। हो सकता है वर्ष 2018 में बिछुड़े लोगों ने फिर से जन्म लिया हो। हम पुनर्जन्म के सिद्धांत को मानते हैं, इसलिए ऐसा कहते हैं। बीते वर्ष पर नजर डालें तो वर्ष के प्रारंभ में 10 फरवरी को ओडिशा के रहने वाले मशहूर साहित्यिक हस्ती चंद्रशेखर रथ हमें छोड़ कर चले गये थे। सिनेतारिका श्रीदेवी के निधन ने सभी को चौंका दिया था तो 16 अगस्त को हमारे देश के महानतम नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बिहारी बाजपेयी ने काल के कपाल पर गीत लिखते हुए नया गीत गाने के लिए पुराने वस्त्र की तरह शरीर को त्याग दिया। केन्द्रीय साहित्य अकादमी अवार्ड ओडिशा साहित्य अकादमी अवार्ड और जगन्नाथ दास सम्मान पाने वाले महान साहित्यकार चंद्रशेखर रथ का निधन 10 फरवरी 2018 को हो गया था। कला के क्षेत्र में ही नाम कमाने वाली पहली महिला फिल्म निर्माता पार्वती घोष का भी निधन 13 फरवरी को हो गयावे लगभग 85 वर्ष की थीं। फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री श्री देवी के निधन ने तो सभी देशवासियों को चौंका दिया था। श्रीदेवी अपने पति बोनी कपूर के साथ दुबई गयी थीं


 



 


और वहां एक होटल के बाथ टब में वे मृत पायी गयीं। उनकी मौत को लेकर पहले संदेह भी जताया गया था लेकिन पुलिस ने जांच के बाद पाया कि श्रीदेवी की मौत स्वाभाविक थी। बाथटब में गिरने से उनका दम् घुट गया था। बीते वर्ष की 26 फरवरी को यह खबर जब मिली तो सभी की आंखे नम थीं और श्रीदेवी के अतिम संस्कार के समय मुंबई में जन समुद्र ही उमड़ पड़ा था। इसके बाद पहली मार्च को हमारे देश की एक महान आध्यात्मिक हस्ती ने महाप्रयाण कियाकांचीपुरम पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती कांचीपुरम पीठ के पीठाधीश्वर थे जो 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने स्थापित की थीमार्च 2018 में ही एक और साहित्यिक हस्ती ने हमसे विदा ले ली। ये थे महान लेखक केदारनाथ सिंह। ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले केदार नाथ सिंह ने 20 मई को इस नश्वर शरीर का त्याग कर दिया। उन्हें काव्यसंग्रह अकाल में सारस के लिए 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला थाइससे पहले 14 मार्च को एक ऐसे महान वैज्ञानिक स्टीफन हाकिन ने इस संसार को अलविदा कह दिया जो यह साबित करने में लगे रहे कि इस सृष्टि को भगवान ने नहीं बनाया है। हबील चेयर पर रहकर वे महान वैज्ञानिक भौतिकी के आविष्कार करते रहे। जुलाई में 17 तारीख को वेटरेन एक्ट्रेस रीता भादुड़ी का निधन भी कला जगत के लिए बड़ी रिक्तता कायम कर गया था। अगस्त का महीना हमारे देश के लिए कई मामलों में यादगार रहता है। इसी महीने में ब्रिटिश गुलामी को अंतिम चेतावनी देते हुए अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा लगाया गया था और 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली थी। बीते वर्ष अगस्त महीने में हमारे देश को राजनीतिक रूप से कई विभूतियां खोनी पड़ी। दक्षिण भारत में फिल्म अभिनय से राजनीति में आए एम करुणानिधि का निधन 8 अगस्त को हो गया। वे तमिलनाडु की राजनीति में 6 दशक तक छाये रहे। करूणानिधि ने अलग-अलग टर्म में पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला।