13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ खोला मोर्चा..

REPORTED BY :- प्रीति गौतम 


नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शिक्षकों ने 200 प्वाइंट रोस्टर को फिर से बहाल करने की मांग को लेकर गुरुवार को मंडी हाउस से संसद मार्ग तक पैदल मार्च निकाला। इसमें डीयू शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों के अलावा अन्य शिक्षक संस्थानों के शिक्षकों ने भी हिस्सा लिया। सुबह 11 बजे मार्च निकालने के बाद दोपहर एक बजे शिक्षक जंतर मंतर पहुंचे। जहां शाम चार बजे तक धरना दिया। इसमें कई राजनीतिक दलों के नेताओं का भी शिक्षकों को समर्थन मिला। दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, राष्ट्रीय जनता दल के नेता व बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय जनता दल की नेता मीसा भारती, समाजवादी पार्टी सांसद धर्मेंद्र यादव, सीपीआइ नेता डी राजा, जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष एन साईं बालाजी मौजूद रहे।



 


केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए शिक्षकों और नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार संविधान के साथ छेड़छाड़ करने की साजिश रच रही है। डीयू के शिक्षकों ने कहा कि 200 प्वाइंट रोस्टर को बहाल नहीं किया जाता है तो इससे आरक्षित वर्ग के पदों में बड़ी कटौती होगी। 13 प्वाइंट रोस्टर विश्वविद्यालय में लागू किया जाता है तो हर विश्वविद्यालय में विभाग को एक यूनिट मानते हुए आरक्षण लागू कर दिया जाएगा। इससे सीटों में कमी होगी।


तेजस्वी ने किया तीखा प्रहार:


13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ राजद नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार दलित, पिछड़ा, संविधान और आरक्षण विरोधी है। यह सरकार बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के संविधान को मिटाकर, नागपुर के कानून को लागू करना चाहती है। उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेते हुए कहा कि भागवत जी ने पहले कहा था कि आरक्षण को समीक्षा करके समाप्त कर देना चाहिए। हम लोगों से अपील करते हैं कि वह सभी जागें। 13 प्वाइंट रोस्टर जिस तरह लागू किया जा रहा है, उससे यह सरकार चाहती है कि किसी भी रूप से दलित, पिछड़े, आदिवासी समाज के लोग प्रोफेसर व शिक्षक ना बन पाएं और आगे ना बढ़ पाएं।



फिर से जनगणना करते हुए दिया जाए आरक्षण :


तेजस्वी यादव: तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने जो गरीबों के लिए 10 फीसद आर्थिक आरक्षण लाने का काम किया, वह बिना कोई सर्वेक्षण और व्यवस्था के तहत लाया गया। मेरा सवाल है कि साल में आठ लाख कमाने वाला और महीने में 66,666 रुपये कमाने वाला गरीब कैसे है। मंडल कमीशन जब बैठा था, उस समय 52 फीसद आरक्षण की बात कही गई थी। आज भी जो ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण मिल रहा है, उसको भरा नहीं जा रहा है। 1931 में जो जनगणना की गई थी, उसी के आधार पर दलितों और वंचित समाज के लोगों को आरक्षण की व्यवस्था की गई है। लेकिन, आज 2019 आ चुका है। 1931 से 2019 तक वंचित समाज के लोगों की आबादी में वृद्धि हुई है। हमारी मांग है कि फिर से जनगणना करते हुए जिसकी जितनी आबादी है। उसका उतना आरक्षण मिलना चाहिए।