अयोध्या में भूमि अधिग्रहण मामले पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

writeen by ;रेनुका राजपूत 


नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून 1993 को नए सिरे से चुनौती देने वाली याचिका पर मुख्य मामले के साथ सुनवाई करेगा। शुक्रवार को शीर्ष कोर्ट ने नई याचिका को अयोध्या राम जन्मभूमि के मालिकाना हक विवाद की लंबित अपीलों की सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने लगाने का आदेश दिया। यह याचिका लगभग एक पखवाड़े पहले सरकार की ओर से दी गई उस याचिका से अलग है जिसमें सरकार ने अधिगृहीत अतिरिक्त जमीन मूल भूस्वामियों को वापस करने की इजाजत मांगी है।



केंद्र सरकार ने 1993 में कानून के जरिये अयोध्या में विवादित भूमि सहित कुल 67.703 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 1994 में इस्माइल फारुखी केस में इस अधिग्रहण को वैध ठहराया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से फिलहाल वहां यथास्थिति कायम है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर अधिगृहीत भूमि में से विवादित भूमि को छोड़कर बाकी भूमि मूल भूस्वामियों को वापस करने की इजाजत मांगी थी। इस बीच स्वयं को राम भक्त और सनातन धर्म का अनुयायी बताने वाले शिशिर चतुर्वेदी एवं छह अन्य ने यह नई याचिका दाखिल की है जिसमें नए सिरे से अयोध्या भूमि अधिग्रहण को चुनौती दी गई है। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और संजीव खन्ना की पीठ ने नई याचिका को भी संविधान पीठ के सामने लगाने का आदेश दिया तो मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने याचिका का विरोध किया। धवन ने कहा कि यह याचिका एक प्रकार से इस्माइल फारुखी फैसले का रिव्यू है। उस फैसले में कोर्ट अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून को वैध ठहरा चुका है। 27 साल बाद उस पर पुनर्विचार नहीं हो सकता। उनकी दलील पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह अभी सिर्फ इस मामले को मुख्य मामले के साथ लगाने का आदेश दे रहें हैं। इस पर तभी सुनवाई होगी।



नई याचिका में अयोध्या भूमि अधिग्रहण को चुनौती देते हुए कहा गया है कि संसद को राज्य की जमीन के अधिग्रहण के बारे में कानून पास करने का अधिकार नहीं है। यह भी कहा गया है कि यह कानून हंिदूुओं को अनुच्छेद 25 में प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दे कि वह अधिगृहीत जमीन पर स्थित मंदिरों विशेषकर राम जन्मभूमि न्यास, मानस भवन, संकट मोचन मंदिर, राम जन्मस्थान मंदिर, जानकी महल और कथा मंडप में स्थित मंदिरों में पूजा, दर्शन व रीतिरिवाज करने से न रोके।