Reported by :- सन्नी गुप्ता
नई दिल्ली: मरीज अपनी बीमारी से परेशान तो होते ही हैं। वहीं महंगी दवाओं से मरीजों की जेब पर भी आर्थिक मार पड़ती है। स्थिति यह है कि बाजार में मनमानी कीमत पर दवाएं बिक रही हैं। इस पर सरकार का खास नियंत्रण नहीं है। स्थिति यह है कि 500 रुपये की दवा पर 2750 रुपये एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) लिखा गया है। यह दवा एम्स के डॉक्टर को जहां 500 रुपये में मिली। वहीं आम आदमी से इसके मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं।
एम्स के पूर्व रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विजय गुर्जर ने कहा कि उन्होंने जोलेंड्रोनिक एसिड इंजेक्शन मंगाई। यह दवा ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों को हड्डी में मजबूती के लिए दी जाती है। एम्स के बाहर जो दवा दुकान है, वहां मिली दवा पर 2750 रुपये एमआरपी अंकित था। एम्स में प्रतिदिन कई मरीजों को इस दवा की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि किसी मरीज को यह दवा 800 रुपये में, किसी को हजार तो किसी को 1500 रुपये में मिलती है। जबकि, वही दवा केंद्र सरकार द्वारा खोले गए अमृत स्टोर में 150 रुपये में उपलब्ध है। ऐसी कई दवाएं हैं, जिस पर एमआरपी लागत से कई गुना बढ़ाकर लिखा जाता है। चिकित्सक के मुताबिक मरीजों को यह खेल पता नहीं होता। इसलिए वे कुछ बोल भी नहीं पाते। वैसे भी दवा पर कोई मरीज मोलभाव करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। दवाओं की एमआरपी तय करने का अब तक कोई दिशा निर्देश तय नहीं है, इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इसलिए दवाओं पर नियंत्रण जरूरी है।