ई-कचरा निस्तारण में सात को ग्रीन रेटिंग

reported by :- संदीप कुमार 


नई दिल्ली : ई-कचरा निस्तारण के नियम भले ही 2016 में बन गए हों, लेकिन उन पर अमल को लेकर ज्यादातर कंपनियां ही लाहवाली कर रही हैं। आलम यह है कि टॉक्सिक लिंक की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक 54 इलेक्ट्रानिक एंड इलेक्ट्रिक कंपनियों में से ई कचरा नियमों के मामले में केवल सात कंपनियों को ग्रीन रेटिंग मिली है।



29 कंपनियों को औसत से भी नीचे की रेटिंग दी गई है। यह रिपोर्ट बृहस्पतिवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में जारी की गई। रिपोर्ट के अनुसार 2016 में देश भर में 44.7 मीट्रिक टन ई कचरा उत्पन्न होता था। अनुमान के अनुसार 2021 तक यह बढ़कर 52.2 मीट्रिक टन हो सकता है। 2014 में टॉक्सिक लिंक की पहली रिपोर्ट टाइम टू रिबूट में दावा किया गया था कि 50 में से 17 कंपनियां ई कचरा नियमों का पालन नहीं कर रही हैं। 2016 में जारी हुई दूसरी रिपोर्ट में 51 में से 18 कंपनियां इन नियमों का पालन नहीं कर रही थीं।



टॉक्सिक लिंक के सहायक निदेशक सतीश सिन्हा ने बताया कि हमारी रिपोर्ट में सिर्फ 13 कंपनियों को औसत रेटिंग मिली हैं। जबकि तीन कंपनियों ने ई कचरे के लिए कोई काम ही नहीं किया है, उन्हें जीरो रेटिंग दी गई है।


रेड श्रेणी की कंपनियां घटीं:


राहत की बात यह है कि इस बार रेड श्रेणी की रेटिंग में केवल 5 कंपनियां हैं, जबकि 2014 में इस रेटिंग में 17 कंपनियां थीं। रिपोर्ट में कई नामचीन कंपनियों के ई कचरे का भी ब्योरा है। इन्हें रेड, येलो, ब्लू और ग्रीन रेटिंग दी गई है। रेड सबसे खराब और ग्रीन सबसे अच्छी रेटिंग है। रिपोर्ट में 5 कंपनियों को रेड, 3 को जीरो, 29 को येलो, 13 को ब्लू और सात को ग्रीन रेटिंग मिली है। इस रिपोर्ट को जारी करने के मौके पर मौजूद केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रलय के निदेशक मनोज कुमार गंगेया ने बताया कि एक समय था जब इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्माता की संख्या सिर्फ 100 थी अब इनकी संख्या 800 हो गई है। हम जल्द ही थोक उपभोक्ताओं के लिए भी नीति लाएंगे। इस पर काम चल रहा है।