ईवीएम पर विपक्ष का दबाव चुनाव आयोग की रहेगी सिरदर्दी

reported by :- संदीप कुमार


नई दिल्ली: चुनाव आयोग ईवीएम में किसी तरह की हेर-फेर की गुंजाइश की आशंका को भले ही खारिज करता रहा हो, मगर विपक्षी दलों की तरफ से लगातार उठाए जा रहे सवाल उसकी सिरदर्दी बने हुए हैं। ईवीएम मुद्दे पर सोमवार को चुनाव आयोग में दस्तक देने की विपक्षी दलों की तैयारी से साफ है कि 2019 के सियासी महासंग्राम के दौरान आयोग को इस पर गहरी संवेदनशीलता ही नहीं अत्यधिक सतर्कता भी दिखानी होगी। बैलेट पेपर से चुनाव कराने की एक बार फिर मांग करने जा रहे विपक्षी पार्टियों की रणनीति से स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की साख की बार-बार कठिन परीक्षा होगी।



विपक्षी पार्टियों की एक फरवरी को हुई बैठक में बैलेट पेपर से चुनाव की मांग का अंतिम दांव चलने की रणनीति के तहत सोमवार को चुनाव आयोग से मिलने का निर्णय हुआ था। दरअसल बैलेट पेपर की वापसी की मांग के जरिये विपक्ष की रणनीति आयोग पर दबाव बनाने की है ताकि ईवीएम में छेड़छाड़ की कोई गुंजाइश न रहे। इसीलिए बैलेट पेपर से लोकसभा चुनाव कराने की दूर-दूर तक संभावना नहीं होने की हकीकत जानते हुए भी विपक्षी दल आयोग से यह मांग करने जा रहे हैं।


चुनाव आयोग कई मौकों पर ईवीएम को फूलप्रूफ बताते हुए बैलेट पेपर की मांग खारिज कर चुका है। विपक्षी दलों की जिस दिन दिल्ली में ईवीएम मुद्दे पर बैठक हुई उसी दिन कोलकाता में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को नकार दिया था। इसके बाद भी डेढ़ दर्जन से अधिक विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बैठक में आयोग पर दबाव का दांव आजमाने का निर्णय लिया गया। इस बैठक में राहुल गांधी के अलावा चंद्रबाबू नायडू, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन, बसपा के सतीश मिश्र, सपा के रामगोपाल यादव समेत तमाम नेता मौजूद थे।



दरअसल, कोलकाता में ममता बनर्जी की 19 जनवरी को हुई रैली के बाद सभी विपक्षी नेताओं ने ईवीएम के मुद्दे पर साझा रणनीति बनाने का फैसला लिया था। तब कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आधिकारिक तौर पर ईवीएम में लगी वीवीपीएटी मशीनों से निकलने वाली 30 से 50 फीसद पर्चियों की सैंपल गिनती की मांग की थी। विपक्षी पार्टियों की इस रणनीति को देखते हुए जाहिर तौर पर चुनाव आयोग को लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम के संचालन से लेकर प्रबंधन तक में बेहद सतर्कता बरतनी होगी। खासतौर पर मध्यप्रदेश और तेलंगाना के हाल के विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद ईवीएम के होटल में मिलने से लेकर मतगणना केंद्र के बाहर खाली ईवीएम से भरी बस के पकड़े जाने जैसी घटनाएं दोहरायी न जाए इसका दबाव आयोग पर कहीं ज्यादा होगा।