एक साथ तीन तलाक पर तीसरा अध्यादेश

writeen by ;रेनुका राजपूत 


नई दिल्ली : विपक्ष के विरोध और आपत्तियों के कारण एक साथ तीन तलाक विधेयक के संसद में पारित न हो पाने के बाद केंद्र सरकार ने एक बार फिर अध्यादेश का रास्ता अपनाया है। यह तीसरा मौका है, जब सरकार ने एक साथ तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखने के लिए अध्यादेश लाया है। इसके साथ-साथ मेडिकल शिक्षा की देखरेख के लिए एमसीआइ की जगह पारदर्शी बीओजी बनाने और कंपनी लॉ पर तीसरी बार अध्यादेश लाई है। अनधिकृत जमा योजनाओं पर रोक लगाने के लिए नए अध्यादेश को मंजूरी भी दे दी है।


दरअसल, इन चारों अध्यादेश से संबंधित विधेयक सरकार लोकसभा में पास कराने में सफल रही थी, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे और विरोध के कारण पास नहीं हो सके थे। यही नहीं, 16वीं लोकसभा के अवसान के साथ ही इन सभी विधेयकों की वैधता समाप्त हो गई। आम चुनाव के बाद नई लोकसभा में इन विधेयकों को दोबारा पास कराना होगा। उसके बाद ही फिर से उन्हें राज्यसभा में पास कराना होगा। संसद सत्र के अवसान के साथ नियम के मुताबिक इन अध्यादेशों की वैधता भी समाप्त हो गई थी। ऐसे में नए सिरे से अध्यादेश जारी कर सरकार ने इससे जुड़े कानून की निरंतरता को बनाए रखा है।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में चारों अध्यादेश को मंजूरी मिल गई। तीन तलाक अध्यादेश का खास महत्व है। दरअसल, मुस्लिम महिलाओं में बराबरी के लिहाज से इसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। राजनीतिक रूप से भी इसे अहम माना जा रहा है। पहली बार सितंबर 2018 में अध्यादेश लाया गया था, लेकिन विपक्ष ने राज्यसभा में इससे संबंधित विधेयक का रास्ता रोक दिया था। बाद में सरकार कुछ बदलाव के साथ फिर से अध्यादेश लेकर आई। विधेयक में संशोधन भी हुए, लेकिन राज्यसभा मे अड़चन के कारण फिर से विधेयक रद हो गया और उसके साथ ही अध्यादेश भी।


इसी तरह, एमसीआइ में भ्रष्टाचार के कारण देश में मेडिकल शिक्षा की मुश्किलों को दूर करने के लिए सरकार ने उसे भंग करने का अध्यादेश जारी किया था और उसकी जगह बीओजी के गठन को मंजूरी दी गई थी। लेकिन, सरकार इससे संबंधित विधेयक को संसद से पास नहीं करा सकी और तीसरी बार अध्यादेश का सहारा लेना पड़ा। यही स्थिति कंपनी कानून में संशोधन से जुड़े विधेयक की भी रही। सरकार ने तीसरी बार इसके लिए भी अध्यादेश जारी करने का फैसला किया है। वहीं, अनधिकृत जमा योजनाओं पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बजट सत्र में लोकसभा पेश किया था और समापन के दो दिन पहले ही लोकसभा से पास कराने में सफल रही थी। लेकिन, हंगामे के कारण राज्यसभा में इसे रखा नहीं जा सका। अब सरकार ने अध्यादेश जारी कर सभी तरह की अनधिकृत जमा योजनाओं पर लगाम लगाने का फैसला किया है।