एम्स में जल्द सर्जरी के लिए लेना होगा प्राइवेट वार्ड

REPORTED BY :- संदीप कुमार


नई दिल्ली: मरीजों के दबाव के चलते एम्स में फिलहाल वार्ड खाली नहीं है। यदि आप प्राइवेट वार्ड का खर्च वहन कर सकते हैं तो सर्जरी जल्द ही हो जाएगी। एम्स के चिकित्सकों ने यह सलाह रीढ़ की विकृति स्कोलियोसिस से पीड़ित 14 वर्षीय किशोरी के परिजनों को दी है। परेशानी यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय से इलाज के लिए मिले पांच लाख 43 हजार रुपये के बाद अब पीड़ित परिवार के पास खर्च करने के लिए रुपये नहीं हैं। ऐसे में सर्जरी टलने की आशंका से परिजन परेशान हैं। किशोरी के माता-पिता अब समाजिक संगठनों से मदद की गुहार लगा रहे हैं।



मूलरूप से बिहार के कटिहार निवासी अजरुन ठाकुर मजदूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि करीब नौ साल से उनकी बेटी इस बीमारी से पीड़ित है। उसके रीढ़ की हड्डी टेढ़ी होने की वजह से पीठ का हिस्सा पीछे की तरफ निकल गया है। समय के साथ उसका स्वास्थ्य खराब होता जा रहा है। वह ठीक से न चल पाती है, न बैठ पाती है और न सो पाती है। शुरुआत में कटिहार के अस्पताल में इलाज करा रहे थे। स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर सितंबर 2017 में उसे लेकर इलाज के लिए दिल्ली आए। जांच में ही करीब एक साल निकल गया। पिछले साल अगस्त में डॉक्टर ने पूरी रिपोर्ट देखने के बाद सर्जरी करने का फैसला किया और इलाज पर करीब पांच लाख 43 हजार खर्च बताया। साथ ही सर्जरी के लिए तीन नवंबर की तारीख दी। तय समय तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय से पैसे की स्वीकृति नहीं मिल पाने के कारण सर्जरी नहीं हो पाई। हालांकि, 13 नवंबर को मंत्रलय से पैसा स्वीकृत हो गया। इसके बाद डॉक्टरों ने कहा कि जनरल वार्ड के लिए दो साल की वेटिंग है, प्राइवेट वार्ड में भर्ती कराने की सलाह दी और सर्जरी के लिए 13 फरवरी की तारीख दी। साथ ही प्राइवेट वार्ड में 10 दिन भर्ती करने के लिए 22 हजार जमा कराने के लिए कहा।



प्राइवेट वार्ड के लिए मरीज ने खुद आग्रह किया: एम्स के ऑर्थोपेडिक के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश मल्होत्र ने परिजनों के आरोप को गलत बताया। उन्होंने कहा कि मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण जनरल वार्ड में लंबी वेटिंग है। एम्स में देशभर से मरीज पहुंचते हैं। इस सर्जरी में मरीज को पैरालिसिस होने का खतरा रहता है। इसलिए एक मरीज के ऑपरेशन में 12 घंटे का समय लगता है। वेटिंग से बचने के लिए मरीज खुद प्राइवेट वार्ड के लिए आग्रह करते हैं।