इस बार पढ़े-लिखे प्रधानमंत्री को चुनना: केजरीवाल

Reported by :- संदीप कुमार 


नई दिल्ली


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हो रहे राजनीतिक जमावड़े के क्रम में पश्चिम बंगाल के बाद आज दिल्ली की बारी थी। बुधवार को जंतर मंतर पर ‘तानाशाही हटाओ लोकतंत्र बचाओ’ सत्याग्रह का आयोजन किया गया। आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप के संयोजक अर्विन्द केजरीवाल के बुलावे पर 12 से भी अधिक राजनीतिक दलों के नेता एक मंच जुटे और मोदी के खिलाफ हुंकार भरी। हालांकि, महागठबंधन को सिरे चढ़ाने की कोशिश में जुटे विपक्षी दल के नेताओं को पीएम पद की चाहत के बाधक बनने की चिंता भी स्पष्ट देखने को मिली। फारुख अब्दुल्ला जैसे वरिष्ठ नेताओं ने चेताते हुए कहा कि अगर पीएम पद की कुर्सी की चाहत हम सब ने नहीं छोड़ी तो मोदी को अगले 50 सालों तक नहीं हराया जा सकेगा।



इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री व तेलगुदेशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, नेशनल कांफ्रेस के अध्यक्ष व जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुला, सपा महासचिव रामगोपाल यादव, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव, द्रमुक की कनिमोझी, जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के दानिश अली, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता आनन्द शर्मा, राजद से जयप्रकाश यादव, अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग व अन्य मौजूद रहे। इन नेताओं ने केंद्र पर जोरदार प्रहार किया।


मंच से ही यह संदेश देने की कोशिश भी हुई कि प्रधानमंत्री पद को लेकर देखे जा रहे सपनों की तिलांजलि देनी पड़ेगी, अन्यथा न वह एक हो सकेंगे न मोदी को हो हरा सकेंगे। कई दलों के नेताओं को खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की चाहत महागठबंधन की राह में अवरोध बन रही है। यही कारण है कि न गठबंधन सिरे चढ़ पा रहा है। न राज्यवार सीटों का बंटवार हो पा रहा है। सपा-बसपा व रालोद ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस से अलग राह चुन ली है। शरद पवार ने कहा कि उन लोगों ने वर्ष 2004 में मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार डॉ. मनमोहन सिंह नहीं थे। जबकि अभी जब मिलते हैं तो बातें होती हैं कि गठबंधन कैसा होगा ? पीएम कौन होगा ? चंद्रबाबू नायडू ने तो कहा कि अगर हम एकजुट नहीं हुए तो यह हमारा आखिरी चुनाव होगा।


हालांकि, उन्होंने विकल्प खुले रखते हुए कहा कि हमारे यहां भी फारुख, ममता बनर्जी, अर¨वद केजरीवाल व शरद पवार जैसे समर्थ नेता हैं। ममता बनर्जी ने राज्यों में प्रतिद्वंद्विता से ऊपर राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता की वकालत की। उन्होंने कहा कि अपने राज्य में वह वाम व कांग्रेस से भले ही लड़ रही हैं, लेकिन बाकी पूरे देश में वह एक हैं। दानिश अली ने कहा कि हम केरल में कांग्रेस के खिलाफ हैं, लेकिन कर्नाटक में साथ सरकार चला रहे हैं। आनन्द शर्मा ने कांग्रेस से निकली पार्टियों की तुलना एक नदी से करते हुए कहा कि कई नदियां निकल जाती हैं, लेकिन सब महासागर में मिल जाती हैं।