कवियों ने किया शहरी भारत की विडंबना का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

नई दिल्ली : रामानुजन कॉलेज के हंिदूी विभाग और संस्था लिखावट के संयुक्त तत्वाधान में बृहस्पतिवार को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी अग्रवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता हुए सम्मेलन में काव्य पाठ का आरंभ विनोद कुमार सिन्हा ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता ‘वर दे वीणा वादिनी’ से किया। इसके बाद कवि मिथिलेश श्रीवास्तव ने अपनी कविताओं के जरिये शहरी भारत की विडंबना का मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक बयान प्रस्तुत किया।



कवि दिविक रमेश ने ‘हंसी’ कविता में हंसने के मायने को युगीन संदर्भों से जोड़कर देखा। सुभाष राय ने कविता ‘आज की गीता’ में वर्तमान समय में संविधान के साथ हो रहे खिलवाड़ पर तीखा व्यंग्य किया। कवि विमल कुमार ने अपनी कविताओं में बदलते देश के प्रति चिंता जाहिर की। उपेंद्र कुमार ने कविताओं से चुनावी राजनीति की विसंगति पर चिंता व्यक्त की। विनोद कुमार सिन्हा की गजलों को भी श्रोताओं की भरपूर सराहना मिली।


काव्य पाठ के दूसरे चरण में रामानुजन कॉलेज के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भी काव्य पाठ किया। राजनीति विभाग के डॉ. अजय कुमार, पंजाबी विभाग से सिमरन सेठी व इतिहास विभाग के विकास कुमार ने प्रासंगिक कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर डॉ. अग्रवाल ने कहा कि लिखावट ने कविता की अलख जगाने का जो काम किया है, वह सराहनीय है। महाविद्यालय में आकर कविता के ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों को भी नया कुछ रचने की प्रेरणा मिलती है। वहीं, रामानुजन कॉलेज के हंिदूी विभाग की प्रभारी डॉ. मधु कौशिक ने कहा कि महाविद्यालयों में जाकर ऐसे कार्यक्रमों को छात्रों के बीच आयोजित करना बहुत ही सराहनीय साहित्यिक कर्म है। कार्यक्रम में रामानुजन कॉलेज के विभिन्न विभागों के अन्य शिक्षकों समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।