खनन कानून में संशोधन के लिए आ सकता है अध्यादेश

writeen by ;रेनुका राजपूत 


नई दिल्ली : गोवा में खनन गतिविधियां फिर शुरू करवाने के लिए कानून में संशोधन को अध्यादेश लाने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। बजट सत्र के बीत जाने के बाद चुनाव से पहले गोवा के खनन उद्योग को राहत देने का अब एकमात्र यही रास्ता सरकार के पास बचा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गोवा में खनन गतिविधियां बंद हुए एक वर्ष पूरा होने वाला है। इस बीच प्रदेश में खनन उद्योग से जुड़े तमाम कारोबार लगभग ठप हो गए हैं। गोवा में यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। सरकार ने भी इस दिशा में काफी प्रयास किया है और खनन एवं खान कानून (एमएमडीआरए) अथवा गोवा दमन एंड दीव माइनिंग कंसेशन (एबोलिशन व डिक्लेरेशन ऑफ माइनिंग लीज) एक्ट में संशोधन पर सहमति भी बनी है। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में मंत्रियों का समूह भी इस पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर चुका है। सरकार इसे संसद के जरिए पारित कराना चाहती थी। लेकिन हाल के बजट सत्र तक ऐसा नहीं हो पाया। लिहाजा खनन मंत्रलय के सूत्रों का कहना है कि अब अध्यादेश के जरिये गोवा में खनन की इजाजत देने की संभावनाएं बन रही हैं। राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए चुनाव की घोषणा से पूर्व सरकार अध्यादेश ला सकती है।



शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 20 जनवरी को यह कह चुके हैं कि गोवा में खनन फिर शुरू करवाने के लिए सरकार कानून के दायरे में हर कदम उठाने को तैयार है। अध्यादेश के जरिए सरकार उन खदानों की लीज बहाल कर सकती है जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया था।



अर्थव्यवस्था में खनन क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर पिछली कई सरकारों को दिक्कत आई है। खदानों के आवंटन की प्रक्रिया और अदालती फैसलों की वजह से खनिजों का उत्पादन लगातार प्रभावित होता रहा है। इसकी वजह से अर्थव्यवस्था में उसके योगदान में अपेक्षित वृद्धि देखने को नहीं मिली है। खासतौर पर आयरन ओर का उत्पादन बीते चार-पांच साल से लगातार अदालती फैसलों की वजह से प्रभावित होता रहा है। आयरन ओर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विदेशी बाजार में इसकी काफी मांग है और कम से कम तीन-चार राज्यों की आर्थिक स्थिति को भी यह काफी हद तक प्रभावित करता है।