reported by :- निकिता कश्यप
नई दिल्ली: लंदन में बेनामी प्रॉपर्टी के मामले में रॉबर्ट वाड्रा पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। अदालत के निर्देश के बाद वाड्रा बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पूछताछ के लिए पेश हुए। जांच एजेंसी ने उनसे करीब छह घंटे पूछताछ की। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी खुद वाड्रा को छोड़ने ईडी दफ्तर तक आईं, लेकिन बाहर से वापस चली गईं। वाड्रा अपने वकीलों के साथ दोपहर बाद 3.47 बजे ईडी के दफ्तर पहुंचे और रात 9.40 बजे बाहर निकले। दफ्तर के बाहर वाड्रा के वकील सुमन ज्योति खेतान ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने ईडी के हर सवाल का जवाब दिया। वाड्रा के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप गलत हैं। हम लोग जांच एजेंसी का सहयोग करेंगे। जब भी उन्हें बुलाया जाएगा, वह आएंगे। अधिकारियों के मुताबिक वाड्रा को गुरुवार को फिर बुलाया गया है। बीकानेर जमीन घोटाले में भी उनको 12 फरवरी को पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश होना है।
ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिस तरह वाड्रा सवालों का सही-सही जवाब देने से कतरा रहे हैं, उसके बाद अदालत से उनसे हिरासत में लेकर पूछताछ करने की इजाजत मांगी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, वाड्रा ने आरंभिक तौर पर माना है कि मनोज अरोड़ा उनका कर्मचारी था, लेकिन लंदन में प्रॉपर्टी होने और हथियारों के सौदागर संजय भंडारी व कारोबारी सुमित चड्ढा से रिश्ते होने से साफ इन्कार किया। ईडी के अधिकारी ने कहा कि वाड्रा से मुख्य तौर पर लंदन स्थित बेनामी संपत्तियों के बारे में पूछताछ की जा रही है। संजय भंडारी के खिलाफ विदेश में छिपाए गए काले धन की जांच के दौरान आयकर विभाग को वाड्रा की इन संपत्तियों का पता चला था। शुरुआती पूछताछ में भंडारी ने लंदन की एक प्रॉपर्टी के वाड्रा से संबंधित होने की बात स्वीकार की थी। उसके बाद भंडारी देश से फरार हो गया, लेकिन आयकर से मिले दस्तावेजों के आधार पर ईडी ने मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत इसकी जांच शुरू की थी। अधिकारी ने कहा कि वाड्रा की लंदन में एक दर्जन से अधिक बेनामी संपत्ति होने के सुबूत मिले हैं। इनके बारे में उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं। इनमें एक प्रॉपर्टी लंदन स्थित 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर है। वर्तमान में इसकी कीमत 23 से 25 करोड़ रुपये के बीच बताई जा रही है। 2010 में लंदन स्थित सुमित चड्ढा ने वाड्रा को ईमेल कर नए सिरे से संपत्ति की मरम्मत किए जाने की जरूरत बताई। जवाबी ईमेल में वाड्रा की ओर से इजाजत मिलने पर सुमित चड्ढा ने मरम्मत का पूरा प्लान भेजा, जिसे वाड्रा ने हरी झंडी दे दी। इसके बाद पैसे की दिक्कत का हवाला देकर चड्ढा ने पैसे भेजने को कहा। जवाब में वाड्रा ने मनोज अरोड़ा के मार्फत पैसे के इंतजाम का भरोसा दिया। इसकी मरम्मत पर लगभग 32 लाख रुपये का खर्च आया। 2010 में यह संपत्ति संजय भंडारी के नाम थी। सुमित चड्ढा और वाड्रा के बीच ईमेल पर हर बातचीत की कॉपी संजय भंडारी को भी भेजी जा रही थी। वहां से वह आयकर विभाग के हाथ लग गई। बाद में इस संपत्ति को दुबई में रहने वाले शिशिर थम्पी को बेच दिया गया। वह ईमेल को लेकर साफ-साफ जवाब नहीं दे पा रहे हैं। उनका कहना है कि इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, यह नहीं बता पा रहे हैं कि जिस ईमेल आइडी का वह खुद इस्तेमाल कर रहे थे, उससे की गई ईमेल के बारे में उन्हें कैसे जानकारी नहीं है।
ईडी के नियमों के मुताबिक, वाड्रा को खुद ईडी का सवाल लिखना पड़ रहा है और उसका जवाब भी। ईडी में दिए बयान को कोर्ट में सुबूत के तौर पर माना जाता है। चूंकि कोर्ट ने वाड्रा की गिरफ्तारी पर 16 फरवरी तक रोक लगा रखी है, इसीलिए उनसे सिर्फ पूछताछ की जा रही है।