नर्सरी दाखिले में एक साथ छह महीनों की फीस मांग रहे स्कूल


नई दिल्ली : सामान्य वर्ग के नर्सरी, केजी और कक्षा-एक के दाखिले के लिए अब अभिभावकों की तरफ से कहा जा रहा है कि निजी स्कूल उनसे एक साथ छह महीने की फीस मांग रहे हैं। कई स्कूल ऐसे भी हैं, जो भारीभरकम फीस जमा कराने के लिए कह रहे हैं। फीस को डिमांड ड्राफ्ट के जरिये जमाने कराने के लिए बोला जा रहा है। कई अभिभावक ऐसे भी हैं, जो कह रहे हैं कि स्कूलों ने उनसे कहा है कि अगर वह अपने बच्चे की सीट छोड़कर किसी अन्य स्कूल में दाखिला लेते हैं तो उन्हें बेहद कम फीस वापस मिलेगी।

एक अभिभावक ने कहा कि चार फरवरी को उनके बच्चे का चार स्कूलों की सूची में नाम आ गया था। सीट रुकवाने के लिए सिर्फ एक ही स्कूल में फीस जमा कराने गए थे। इसमें स्कूल ने छह महीने की 60 हजार रुपये फीस मांगी। कुछ ऐसे भी अभिभावक हैं, जो अपनी वित्तीय हालत के मद्देनजर स्कूलों से दर्खास्त कर रहे हैं कि वह एक साथ छह महीने की फीस ना लें। कई अभिभावकों ने मन भी बना लिया है कि वह इसके खिलाफ शिक्षा निदेशालय में भी शिकायत दर्ज कराएंगे।



अभिभावक कर रहे हैं शिकायतें, स्कूल कर रहे हैं मनमानी :


शिक्षाविद सुमित वोहरा कहते हैं कि उनके पास अभी तक 50 से ज्यादा अभिभावकों की तरफ से निजी स्कूलों की शिकायतें आई हैं। जिसमें वह कह रहे हैं कि स्कूल उनसे छह महीने की फीस मांग रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभिभावकों ने अभी जिस भी स्कूल में अपने बच्चे की फीस दी है, उनके पास एक महीने का ही समय है कि वह फीस को वापस मांग सकते हैं। मसलन अगर किसी अभिभावक ने 10 फरवरी को फीस जमा कराई है तो वह 10 मार्च से पहले-पहले स्कूलों के पास फीस वापस करने के लिए आवेदन दे सकते हैं। जिस भी दिन अभिभावक फीस वापस मांगने के लिए आवेदन करेंगे, स्कूलों को 15 दिनों के अंदर फीस लौटानी होगी। नियम के अनुसार स्कूल को एक महीने की ट्यूशन फीस, एक मुश्त रजिस्ट्रेशन फीस और एडमिशन फीस को काटकर बाकी फीस लौटानी होगी। उन्होंने साफ किया कि नियमानुसार स्कूल अभिभावक से सिर्फ एक ही महीने की फीस मांग सकते हैं, अगर इससे ज्यादा समय की फीस मांगते हैं तो यह गलत है। उन्होंने बताया कि कई ऐसे भी अभिभावक हैं, जिन्होंने अल्पसंख्यक स्कूल में बच्चे का दाखिला करवाया है। अभिभावकों की शिकायत आई है कि अगर कोई अभिभावक इन स्कूलों में सीट छोड़ता है तो यह स्कूल फीस लौटाने के लिए भी मना कर रहे हैं।