REPORT BY : निकिता कश्यप
नई दिल्ली : पिछले वर्ष अब तक के सबसे बड़े वायुसैनिक अभ्यास ‘गगन शक्ति’ में पाकिस्तान और चीन से लगते दोनों मोर्चो पर अपनी ताकत का एहसास कराने के बाद वायु सेना 16 फरवरी को दुनिया के सामने अपनी रक्षात्मक और आक्रमक ताकत का प्रदर्शन करने जा रही है। राजस्थान के पोखरण इलाके में होने वाले वायुसैनिक अभ्यास ‘वायु शक्ति 2019’ के दौरान भारतीय वायु सेना अपने 138 लड़ाकू, टोही और परिवहन विमानों के बेड़े की समन्वित तैनाती करेगी और अपनी रक्षात्मक और आक्रामक क्षमता का सघन परीक्षण करेगी। इस दौरान वायु सेना के जाबांज दिन के उजाले में, सूर्यास्त के समय और रात के अंधेरे में लक्ष्यों का पता लगाकर उन्हें नेस्तानाबूद करने के कौशल को दुनिया के सामने पेश करेंगे।
इस वृहद अभ्यास के बारे में जानकारी देते हुए वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल अनिल खोसला ने बताया कि वायुशक्ति अभ्यास के जरिये वायु सेना अपनी विभिन्न क्षमताओं का परीक्षण करेगी। ‘वायु शक्ति’ अभ्यास में भारतीय वायु सेना के चुनिंदा अग्रणी लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआइ, मिराज- 2000, मिग-21 बाइसन, लाइट काम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस, मिग-27, जगुआर विमान उतारे जाएंगे। इस आयरनफीस्ट एक्सरसाइज में अर्ली वॉर्निग सिस्टम सहित मेक-इन-इंडिया पर खासतौर से जोर रहेगा। साथ ही स्वदेशी तकनीक से निर्मित हल्का लड़ाकू विमान तेजस अपने युद्ध कौशल का प्रदर्शन करेगा। मेक इन इंडिया के तहत बनी कई दूसरी मिसाइलें भी इस दौरान अपने लक्ष्य को भेदने का काम करेंगी। स्वदेशी मिसाइल डिफेंस सिस्टम ‘आकाश’ और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल ‘अस्त्र’ की फायरिंग इस अभ्यास में आकर्षण का केंद्र होगी। अभ्यास में हिस्सा लेने वाले एयरक्राफ्ट जैसलमेर, फलौदी, जोधपुर, नाल, उत्तरलाई, अंबाला और आगरा एयरबेस से उड़ान भरेंगे। इस अभ्यास को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण व तीनों सेनाओं के आला अधिकारी और विदेशी मेहमान भी देखने पहुंच रहे हैं। विदेशी रक्षा राजनयिकों को ‘वायु शक्ति’ युद्धभ्यास दिखाकर वायुसेना यह संदेश भी देगी कि वह अपनी हवाई आक्रमण क्षमता में कितनी सिद्ध हो चुकी है। ‘वायु शक्ति’ अभ्यास 1953 से ही दिल्ली के निकट तिलपत रेंज पर आयोजित होता रहा है, लेकिन 1989 से इसे जैसलमेर केनिकट पोखरण इलाके में ले जाया गया था।