REPORTED BY :- संदीप कुमार
नई दिल्ली : राफेल सौदे पर फिर से नई रार ठन गई है। शुक्रवार को एक अंग्रेजी अखबार में दावा किया गया कि राफेल डील में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने समानांतर वार्ता की थी। इसमें कहा गया था कि तत्कालीन रक्षा सचिव ने पीएमओ से समानांतर वार्ता करने पर एतराज जताया था। इसके आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश की। जितनी तेजी से कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे लपका, उतनी ही तेजी से सरकार के साथ-साथ संबद्ध अधिकारियों ने तथ्यों के साथ उन्हें निहत्था कर दिया।
सौदे में पीएमओ की दखलअंदाजी के आरोप को खुद राफेल सौदे के वार्ताकार एसबीपी सिन्हा ने ही खारिज कर दिया है। वहीं, जिन तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार का हवाला देकर आरोप लगाया गया था, उन्होंने भी साफ कर दिया कि उन्होंने दखल की बात नहीं की थी और न ही राफेल की कीमत पर कोई सवाल उठाया था। वह सिर्फ सामान्य शर्तो को लेकर चिंतित थे। इस आधार पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष पर पलटवार किया कि वह कारपोरेट के निहित स्वार्थी तत्वों के हाथों में खेलकर मनगढंत आरोप लगा रहा है। आक्रामक रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के साथ-साथ उक्त अंग्रेजी अखबार पर भी सवाल उठाया। कहा कि सचिव की नोटिंग के साथ तत्कालीन रक्षा मंत्री की नोटिंग को क्यों नहीं सार्वजनिक किया गया। सीतारमण ने कहा कि विपक्ष बार-बार झूठ बोलकर भ्रम पैदा करना चाहता है। यह देश के लिए भी घातक है। फ्रांस के साथ राफेल सौदे की टीम का नेतृत्व कर रहे एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने कहा कि ‘वार्ता में उक्त सचिव शामिल नहीं थे। पीएमओ की ओर से कोई समानांतर वार्ता नहीं हुई थी। समझौते में केवल उन्हीं मुद्दों पर हस्ताक्षर हुए थे, जिनपर दोनों टीमों के बीच सहमति बनी थी।’ उन्होंने अब से पहले ऐसी किसी फाइल नोटिंग के बारे में भी अनभिज्ञता जताई।
र्पीकर वाला हिस्सा छिपाकर मचाई सनसनी
उसी फाइल में र्पीकर ने किसी भी समानांतर वार्ता की अटकल को खारिज किया था। र्पीकर ने उस फाइल पर लिखा था- ‘पीएमओ और फ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्यालय राफेल मामले की सिर्फ निगरानी कर रहे हैं। जिस समानांतर वार्ता की बात कही गई है, वह अति प्रतिक्रिया है। पीएमओ के मुख्य सचिव के साथ रक्षा सचिव मुद्दे को सुलझा सकते हैं।’
मोहन कुमार का पढ़ा नोट
राहुल ने अखबार में छपे तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार के 24 नवंबर 2015 के नोट को पढ़कर सुनाया। इसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्रलय के वार्ताकारों की टीम राफेल सौदे पर बात कर रही है, मगर पीएमओ की ओर से भी सामानांतर वार्ता की जा रही है। पीएमओ का यह रुख रक्षा मंत्रलय के अधिकारों में गंभीर दखलअंदाजी है, जिसकी वजह से भारतीय वार्ताकारों की टीम और रक्षा मंत्रलय की स्थिति कमजोर हुई है। उन्होंने तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर को यही नोट यह कहते हुए भेजा कि पीएमओ को समानांतर वार्ता नहीं करने के लिए कहा जाना चाहिए।