संत-महात्माओं को भी पसंद आई डिजिटल इंडिया की डिजिटल तकनीक ,ई-पेमेंट से किया भुगतान

REPORT BY : निकिता कश्यप 



 कुंभ नगर : कुंभ मेला में आए संत-महात्माओं को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डिजिटल इंडिया अभियान रास आ रहा है। तभी तो ज्यादातर खरीदारी ई-पेमेंट से कर रहे हैं। शिविर तैयार करने के लिए प्लाई बोर्ड समेत अन्य सजावटी सामान हो या अन्न क्षेत्र चलाने के लिए आटा, चावल, दाल, चीनी से लेकर ड्राई फ्रूट की खरीद। संत-महात्माओं ने ज्यादातर भुगतान ई-पेमेंट से किया। सबसे सुरक्षित और आसान तरीका होने के कारण कई संत-महात्मा तो अपने शिविरों में रहने वाले कल्पवासियों तक से ई-पेमेंट को बढ़ावा देने की अपील तक कर रहे हैं।



मोबाइल पर बड़े व्यापारियों को राशन का आर्डर और ऑनलाइन पेमेंट - सेक्टर 16 में पंचवटी पलवल नगर खालसा के शिविर में प्रतिदिन दो से ढाई हजार लोगों के लिए भोजन तैयार होता है। इसमें बड़ी मात्रा में आटा, दाल, चावल, सूजी आदि का इस्तेमाल होता है। शिविर का संचालन दिगंबर अनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी कामता दास, श्रीमहंत स्वामी ऋषि दास एवं महामंडलेश्वर स्वामी राघव दास कर रहे हैं। स्वामी राघव दास बताते हैं कि इतने लोगों का भोजन प्रसाद तैयार कराने में बड़े पैमाने पर खाद्य सामग्री का इस्तेमाल होता है। प्रयागराज में नैनी और मुटठीगंज में कई बड़े व्यापारियों से आटा, दाल, सूजी, चीनी, मसाले आदि खरीद रहे हैं। मोबाइल पर सामान का आर्डर दे देते हैं। व्यापारी सामान की कीमत जोड़कर बताता है और उससे तत्काल ई-पेमेंट से भुगतान कर देते हैं। यह काम मेले में आने के बाद से ही चल रहा है।


यहीं से किया भुगतान, शिविर में पहुंच गया अलीगढ़ से सामान - प्रखर परोपकार मिशन के स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज बताते हैं कि सेक्टर 15 में शिविर के निर्माण में काफी मात्रा में प्लाई बोर्ड और कपड़े का इस्तेमाल हुआ। सारा सामान अलीगढ़, कानपुर से मंगाया गया। यहां आने के बाद जरूरत के हिसाब से सामान की लिस्ट तैयार कर थोक व्यापारियों को आर्डर भेजा। फिर उन्हें ई-पेमेंट किया। भुगतान होने के दो दिन के भीतर सारा सामान यहां आ गया। बताया कि स्टील के बर्तन, पत्तल, दोना समेत अन्य सामान भी थोक में खरीदने के दौरान ई-पेमेंट से रकम अदा की गई।


कोलकाता से मंगाए पौधे, तत्काल अदा की रकम - सेक्टर छह में श्रीगुरु कर्णि आश्रम शिविर में करीब छह हजार पौधे लगाए गए हैं। यह पौधे कोलकाता से मंगाए गए। शिविर के संचालक स्वामी महेशानंद महाराज का कहना है कि मेले में जमीन आवंटित होने के बाद पेड़ के लिए कोलकाता के बड़े कारोबारी से संपर्क किया गया। वहां से तैयार पेड़ मंगाए गए। आर्डर भेजने के तुरंत बाद वहां से भुगतान की मांग की गई। तत्काल ई-पेमेंट से रकम अदा की गई। इसके बाद चार दिन में ट्रक से पेड़ यहां पहुंच गए। बताया कि शिविर के लिए जरूरी सामान की खरीदारी के लिए भुगतान ई-पेमेंट से ही किया गया।


भुगतान की यह पारदर्शी व्यवस्था बेहतर : प्रखर महाराज - महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर महाराज का कहना है कि भुगतान की यह पारदर्शी व्यवस्था काफी बेहतर है। इसमें किसी तरह का खतरा भी नहीं है। स्वामी राघवदास का कहना है कि उनके शिविर में मथुरा, वृंदावन समेत हरियाणा से काफी कल्पवासी आए हैं। उन्हें भी ई-पेमेंट से खरीदारी के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।