REPORT BY : निकिता कश्यप
नई दिल्ली : महिला सशक्तीकरण की बात कही जाती है लेकिन, महिलाएं पहले से ही सशक्त हैं। शक्ति रूप में महिला की पूजा और वंदना की जाती है, यानि महिला पहले ही पुरुष से श्रेष्ठ और ऊपर है तो फिर उसे बराबरी पर लाने की बात क्यों की जाती है। महिलाओं को किसी सहारे की जरूरत नहीं है, बस उन्हें उन्मुक्त गगन में आजादी से उड़ने दें।’ यह कहना था राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री रवीना टंडन का। वो शहर के एक होटल में आयोजित इंटरनेशनल वुमन एम्पावरमेंट समिट एंड अवार्डस (आइडब्ल्यूईएस) में बतौर वक्ता पहुंची थीं।
रवीना ने कहा कि भारतीय सिनेमा में भी समय के साथ बदलाव हुआ है। महिला विषयों को छूती कई फिल्में बन रही हैं और अभिनेत्रियों को अभिनेता के बराबर आंका जा रहा है। इस अवसर पर रवीना टंडन के साथ मंच पर कवि और लेखन प्रसून जोशी, हंस फाउंडेशन की संस्थापक मंगला माता व विचारक फ्रैंची पिकप भी मौजूद रहीं। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी व भाजपा सांसद व अभिनेत्री किरण खेर भी पहुंची और इस वर्ष के आइडब्ल्यूईएस अवार्ड विजेताओं को सम्मानित किया। अवार्ड विजेताओं में मुक्केबाज मैरी कॉम, मॉडल व अभिनेत्री डियाना उप्पल, एथलीट पी टी उषा, एथलीट दीपा मलिक, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला बछेंद्री पाल, अभिनेत्री सुषमा सेठ व एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल समेत कई हस्तियों को सम्मानित किया गया। महिला एवं बाल विकास मंत्रलय, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रलय व यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम को लेकर आइडब्ल्यूईएस की चेयरपर्सन आरुषि निशांक ने कहा कि भारत में इस सम्मान समारोह का आयोजन पहली बार हुआ है। समारोह का मकसद दशकों से अपनी मेहनत के जरिये अलग मुकाम बनाने वाली महिलाओं को सम्मानित करना है।