शिक्षा को लेकर संवेदनहीन सरकार देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है: दिलीप पाण्डेय*
REPORTED by :- संदीप कुमार

नई दिल्ली :

एक स्कूल, कॉलेज या शिक्षण संस्था की मर्यादा उसी क्षण भंग हो जाती है, जब आर्थिक लाभ के लिये उसका व्यवसायीकरण होने लगता है। शिक्षा के निजीकरण ने इसे बड़े-बड़े धन्ना सेठों के हाथों की वस्तु बना दिया है, जहाँ धन देकर ही इसे पाया जा सकता है। जबकि एक किसान, मज़दूर और उद्योगपति का बच्चा एक ही स्कूल, कॉलेज, संस्था में पढ़ सके, ये सुनिश्चित करने के बाद ही देश आगे बढ़ सकता है। ये किसी भी सरकार की पहली ज़िम्मेदारी है कि वो शिक्षा को व्यापार न बनने दे और उसकी गरिमा बनाये रखे।आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता और उत्तर-,पूर्वी दिल्ली लोकसभा प्रभारी दिलीप पाण्डेय ने मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, दिल्ली यूनिवर्सिटी के 4500 एडहॉक प्रोफेसर को समायोजित करने की माँग का दिल्ली सरकार ने हमेशा से ही समर्थन किया है, और दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित कालेजों के शिक्षकों को स्थायी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी..उन्होंने कहा कि,  शिक्षा व्यवस्था के इस शोषण को रोकना सरकारों के हाथों में है। जिस तरह दिल्ली सरकार ने शिक्षा के निजिकरण और ठेकेदारी को रोकने के लिए इसके व्यावसायिकरण पर लगाम लगाई, निजी स्कूलों को मनचाही फीस वसूलने से रोका और कानून की मदद से शिक्षा की खरीद-फ़रोख़्त पर लगाम कसी। वहीं शिक्षा के विकास में ज़रूरी फंड को काट पीटकर देश के भविष्य से खिलवाड़ करने में केंद्र सरकार को ज़रा सी हिचक नहीं होती। 


 

 

दिलीप पाण्डेय ने कहा कि, किसी भी सरकार को अपने बजट का सबसे बड़ा भाग शिक्षा के विकास में लगाना चाहिए, जैसे दिल्ली सरकार करती आई है, अपने कुल बजट का 25% शिक्षा पर खर्च करके। लेकिन केंद्र सरकार शिक्षा के फण्ड को हर साल कम कर देती है, जिसका सीधा-सीधा असर देश के भविष्य पर पड़ता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में हजारों शिक्षकों को अबतक प्रोमोशन नहीं है,  सरकार उनका हक छीन रही है। रिटायर्ड शिक्षकों को पेंशन न मिलने की वजह से काफी परेशानी हो रही है। समय से पेंशन रिलीज न हो पाने की स्थिति में कइयों की मौत भी हुई। देश का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों को जीवन के उस पड़ाव पर, जबकी सब चिंता छोड़कर जीवन गुज़र बसर करना चाहिए, पेंशन की चिंता में घुटना पड़ता है। वृद्धावस्था में पेंशन के अभाव में स्वास्थ्य संकट से जूझते कई रिटायर्ड शिक्षक जान तक गंवा देते हैं, लेकिन केंद्र सरकार की आंख नहीं खुलती।

 

अंत में दिलीप पाण्डेय ने कहा कि, आम आदमी पार्टी शिक्षकों के हित में काम करने को प्रतिबद्ध। श्री मनीष सिसोदिया ने इस परिप्रेक्ष्य में कई बार आपके बीच आ चुके हैं। दिल्ली सरकार ने ना सिर्फ गेस्ट टीचरों की सैलरी दुगुनी कर दी, बल्कि अस्थायी टीचरों को स्थाई करने का फैसला भी लिया, जिस फ़ाइल को LG साहब दबा कर बैठ गए। मनीष सिसोदिया ने ना सिर्फ खुद इस मामले में अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है, बल्कि निजी स्कूलों की लूट पर रोक लगाई और बढ़ी हुई फीस तक अभिभावकों को वापिस लौटाई।

 

DUTA के प्रेसिडेंट राजीव रे ने आम आदमी पार्टी और दिल्ली की सरकार का धन्यवाद किया इस पूरे आंदोलन को अपना समर्थन देने के लिए।