सोशल मीडिया पर नकेल कसने को अधिकार चाहता है चुनाव आयोग

writtenby;कमलपवार


सोशल मीडिया पर चुनाव के दौरान फेक न्यूज के जरिए चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश को रोकने की मुहिम में चुनाव आयोग भी उतर गया है। आयोग ने सोशल मीडिया को लेकर नियमों को सख्त बनाने की सरकार की कोशिशों में ऐसी खबरों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार मांगा है। इसके लिए सरकार के आइटी एक्ट के सेक्शन 79 में संशोधन के प्रस्ताव में आयोग ने अपने लिए इस आशय का प्रावधान करने का सुझाव दिया है।



फेक न्यूज पर रोक लगाने के लिए सरकार आइटी एक्ट में संशोधन करने जा रही है। इसके लिए सरकार ने इंटरमीडियरीज गाइडलाइंस (संशोधन) रूल्स 2018 का प्रस्ताव किया है। इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय ने इसका मसौदा सार्वजनिक कर इस पर सभी की राय मांगी थी। चुनाव आयोग ने इसी मसौदे पर राय देते हुए सुझाव दिया है कि चुनाव के दौरान चुनावी कानून के प्रावधान अथवा चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर उसे कार्रवाई का अधिकार उसे मिले।



आयोग मानता है कि फेक न्यूज के जरिए चुनावों को प्रभावित किया जा सकता है। हालांकि सरकार स्वयं सोशल मीडिया कंपनियों को इस तरह के संदेशों का प्रसार रोकने और उनके स्नोत की जानकारी देने को कह चुकी है। इस संबंध में खासतौर पर वाट्सएप और फेसबुक को सरकार समय-समय पर नोटिस भेज चुकी है। आइटी मंत्रलय ने प्रस्तावित नियमों पर आये सभी सुझावों को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया है। चुनाव आयोग के साथ-साथ इस पर नैस्कॉम, विप्रो, फिक्की, सीआइआइ और सीओएआइ ने भी अपनी राय व्यक्त की है। मंत्रलय ने इन सभी सुझावों पर 14 फरवरी तक काउंटर सुझाव मांगे हैं। इसके बाद दिशानिर्देशों का मसौदा फिर तैयार किया जाएगा और मंजूरी मिलने के बाद उसे अधिसूचित कर दिया जाएगा।



अब तक के मसौदे में सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों पर 72 घंटे के भीतर सवालों के जवाब देने की बाध्यता सुनिश्चित की है। साथ ही सोशल मीडिया कंपनियों को देश में अपने नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा है। सरकार ने कंपनियों को संदेश का एनक्रिप्शन देने की अनिवार्यता को भी नए नियमों का हिस्सा बनाया है। कंपनियों को 180 दिनों का डाटा देश में ही रखना होगा और 50 लाख से ज्यादा यूजर्स हो जाने पर कंपनियों को भारत में रजिस्ट्रेशन कराना होगा।