आप को भरोसेमंद नहीं मानते कांग्रेसी नेता,शीला दीक्षित...

दर्द ए दिल्ली: संदीप कुमार  


नई दिल्ली : एआइसीसी के स्तर पर भले ही आप और कांग्रेस के गठबंधन को अंतिम रूप दिया जा रहा हो, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित सहित दिल्ली का कोई भी पार्टी नेता इस गठबंधन के पक्ष में नहीं है। आम आदमी पार्टी (आप) मुखिया केजरीवाल को भी भरोसेमंद नहीं मानते। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद एक साल से भी कम समय में होने वाले विधानसभा चुनाव को ताक पर नहीं रखा जा सकता।



प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ की मानें तो आप एक क्षेत्रीय पार्टी से इतर अपनी जगह बना ही नहीं पाई है। प्रधानमंत्री कांग्रेस या भाजपा से ही बनना है। ऐसे में अगर दिल्ली में वे आप के प्रत्याशियों जीता भी देंगे तो वह कुछ नहीं कर पाएंगे। वह केजरीवाल के गणित को भी सही नहीं मानते। केजरीवाल का गणित है कि पिछली बार लोकसभा में 46 फीसद वोट भाजपा, 33 फीसद आप को और 15 फीसद वोट कांग्रेस को मिला था। सर्वे के मुताबिक इस बार भाजपा 10 फीसद नीचे जाएगी। अगर यह 10 फीसद कांग्रेस को जाता है तो कांग्रेस 25 फीसद, आप 33 फीसद और भाजपा 36 फीसद पर आ जाएगी और एक बार फिर से भाजपा जीत जाएगी। लेकिन, अगर ये 10 फीसद आप को मिलता है तो आप का वोट 43 फीसद हो जाएगा। दिल्ली की सातों सीटें आप जीत जाएगी। लेकिन, हारून का कहना है कि नगर निगम और कई उपचुनावों के बाद कांग्रेस का मत फीसद 26.24 फीसद तक पहुंच गया है। इसके विपरीत आप का मत फीसद पहले से घट गया है। इसलिए केजरीवाल का गणित भ्रामक है।


दिल्ली के पूर्व मंत्री अरविंद्र सिंह लवली और पूर्व सांसद महाबल मिश्र का भी मानना है कि आप के साथ चुनावी गठबंधन कांग्रेस के लिए नुकसानदायक होगा। जो पार्टी कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाकर सत्ता में आई, उससे हाथ मिलाना खतरे से खाली नहीं। आप के सहयोग से 49 दिन के लिए दिल्ली में बनी कांग्रेस की गठबंधन सरकार के कार्यकाल को भी बेहतर अनुभव नहीं मानते। उनका साफ तौर पर कहना है कि न आप भरोसेमंद और न ही केजरीवाल।


स्वयं शीला ने भी हर स्तर, हर जनसभा और यहां तक कि दर्द ए दिल्ली से बातचीत में भी कई बार ऐसी किसी संभावना से हमेशा इन्कार किया है। शीला का साफ तौर पर कहना है कि कांग्रेस एक परंपरागत राजनीतिक पार्टी है। इसका गौरवशाली इतिहास व अपनी एक विचारधारा भी है। जबकि महज कुछ ही साल पूर्व एक आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी दिल्ली के अलावा कहीं अस्तित्व नहीं रखती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री तक बार-बार अपनी ही कही बात से पलटते रहते हैं। कभी कुछ कहते हैं और कभी कुछ।