reported by:- संदीप कुमार
नई दिल्ली :
उत्तर प्रदेश में ढाई दशक बाद जब सपा-बसपा ने गठबंधन का ऐलान किया तो अचानक कांग्रेस की संभावनाएं खत्म हो गईं. लंबे वक्त से सपा-बसपा के साथ चुनावी समर में उतरने की तैयारी में जुटी कांग्रेस अकेली पड़ गई. इसके बाद पार्टी ने रणनीति बदली और यूपी की सभी सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान किया. कांग्रेस का मानना था कि प्रियंका गांधी के आने से सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद पार्टी को कोई खास नुकसान नहीं होगा, लेकिन 26 फरवरी के बाद तस्वीर अचानक बदल गई है. जो कांग्रेस राफेल, कर्जमाफी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सत्तारूढ़ बीजेपी को घेर रही थी और फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रही थी, वो अचानक बैकफुट पर नजर आने लगी है. आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कैंप पर एयरफोर्स की कार्रवाई (IAF Air Strike) के बाद बीजेपी के पक्ष में जो माहौल बनता दिख रहा है, उस स्थिति में कांग्रेस अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर हो गई है.
यूपी में फिर साथ आ सकते हैं सपा-बसपा और कांग्रेस
बदले माहौल में न सिर्फ कांग्रेस अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर हुई, बल्कि अन्य विपक्षी दलों को भी वोटबैंक खिसकने का खतरा नजर आ रहा है. यही वजह है कि 2 महीने पहले कांग्रेस को भाव न देने वाली सपा और बसपा नए सिरे से गठबंधन की सोच रही हैं. बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन (SP-BSP Alliance) ने कांग्रेस (Congress) को 10 सीटों का ऑफर दिया है. सपा-बसपा गठबंधन (SP-BSP) के नेताओं को लगता है कि इस हालात में एक-एक वोट कीमती है और उसे व्यर्थ नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए कांग्रेस के लिए केवल दो सीट यानी रायबरेली और अमेठी छोड़ने वाली गठबंधन ने कांग्रेस को यह न्योता दिया गया है. हालांकि इस पर अंतिम फैसला कांग्रेस को करना है.
दिल्ली में बदल सकता है सुर
चंद दिन पहले जब दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने स्थानीय नेताओं के साथ बैठक की, तो उस बैठक में आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन पर कोई निर्णय नहीं हो पाया. बकौल शीला दीक्षित, ज्यादातर नेता इसपर सहमत नहीं थे. शीला दीक्षित ने कहा कि गठबंधन पर अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को ही करना है, लेकिन अब बदली परिस्थिति में दिल्ली में आप और कांग्रेस गठबंधन की अटकलें फिर शुरू हो गई हैं. बताया जा रहा है कि NCP प्रमुख शरद पवार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल
पश्चिम बंगाल की भी बदल सकती है हवा
कुछ दिनों पहले कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में 20 से ज्यादा विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाकर मोदी सरकार के खिलाफ ताल ठोंकने वाली पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का रुख भी बदल सकता है. कहा जा रहा है कि नई परिस्थिति में तृणमूल अब कांग्रेस के साथ अपने मतभेदों को पीछे छोड़ने के लिए तैयार है. सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों की पश्चिम बंगाल की 42 संसदीय सीटों पर आपसी सहमति बन सकती है. लेकिन पेंच सीपीएम को लेकर फंस गया है. तृणमूल और सीपीएम एक दूसरे की कट्टर विरोधी हैं, सीपीएम ने भी कांग्रेस के साथ बंगाल की 6 सीटों पर समझौते की बात कही है. सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि केंद्रीय समिति ने पश्चिम बंगाल में 6 सीटों पर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 'एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव ना लड़ने' का प्रस्ताव दिया. ऐसे में मामला दिलचस्प हो गया है.