REPORTED BY : प्रिया शर्मा
जीभ और मुंह का सूखापन
(Dryness Of The Mouth And Tongue)
परिचय :
कभी-कभी शरीर में पानी की कमी के कारण या पित्तज दोष के कारण मुंह और जीभ सूख जाते हैं। मुंह सूख जाने पर रोगी बार-बार होंठों को जीभ से पोंछता रहता है। रोगी के मुंह में नमी की कमी होने के कारण जीभ तालु से सटने लगती है तथा चेहरे पर उदासी छाई रहती है।
उपचार :
लता कस्तूरी के बीजों को जलाकर इसके धुंए को मुंह में थोड़ी देर रखकर छोड़ दें। इसके प्रयोग से मुंह का सूखापन दूर होता है।
बबूल की गोंद मुंह में रखकर चूसें। इससे मुंह व जीभ का सूखापन पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
आंवले का मुरब्बा 10 ग्राम से 20 ग्राम की मात्रा में रोजाना 2 से 3 बार खाने से पित्तदोष से होने वाले मुंह का सूखापन खत्म होता है।
शहद में हर्रे का चूर्ण 3 से 6 ग्राम मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से मुंह व जीभ का सूखापन खत्म हो जाता है।
कुकरोंदा की गीली जड़ मुंह में रखने से मुंह का सूखना दूर होता है।
नारियल पानी में चंदन को घिस लें। इस 20 ग्राम घोल को रोगी को पिलाने से मुंह का सूखापन खत्म होता है और प्यास की कमी भी दूर होती है।
आर्तगल के पत्ते का रस निकाल लें। प्रतिदिन सुबह-शाम इस रस को 20 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से लालश्राव की वृद्धि होती है तथा गले और मुंह का सूखापन दूर हो जाता है।
10 ग्राम से 20 ग्राम गिलोय (गुरुची) के रस को शहद में मिलाकर खाने तथा ऊपर से जीरा एवं मिश्री का शर्बत बनाकर पीने से गले में जलन के कारण होने वाले मुंह का सूखापन दूर होता है।
480 ग्राम गुड़ में जायफल मिलाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
सूखे नारियल की गिरी और मिश्री को मिलाकर चबाने से पान खाने के कारण जीभ के फटने में लाभ होता है।
तिलका की छाल चबाने से मुंह का सूखापन खत्म होता है। इसके प्रयोग से लार ग्रंथि का श्राव बढ़ता है।
छरीला को पानी में उबालकर इसमें जीरा एवं मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से जीभ व मुंह का सूखापन ठीक हो जाता है।
10 से 20 मिलीलीटर सफेद दूब या हरी दूब के रस को मिश्री के साथ मिलाकर शर्बत बनाकर रोजाना पीने से पित्त की वृद्धि से होने वाला मुंह का सूखापन समाप्त हो जाता है।
हरड़ का काढ़ा बनाकर पीने से मुंह के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।