अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान की माली हालत पर गभीर चिंता व्यक्त की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि एक बिलियन की फौरी राहत के बावजूद पाकिस्तान के पास डेढ़ महीने से भी कम का विदेशी मुद्रा भण्डार बचा है। आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने कहा है कि पाकिस्तान को अपनी माली हालात (आर्थिक परिस्थितियों) में सुधार करना है तो अगले यानी अगस्त महीने से ही टैक्स ढांचे में सुधार करना होगा। आईएमएफ का साफ कहना है कि रेवेन्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार और सब्सिडीज को खत्म किए बिना पाकिस्तान के हालात में सुधार नामुमकिन है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का कहना है कि कमजोर और असंतुलित वृद्धि के चलते पाकिस्तान 'कड़ी आर्थिक चुनौतियों' का सामना कर रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था ऐसे अहम मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है जहां उसे महत्वाकांक्षी और मजबूत सुधारों की जरूरत है। नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अगस्त 2018 में आईएमएफ से राहत पैकेज देने के लिए संपर्क किया था। पाकिस्तान के पास आठ अरब डॉलर से भी कम का विदेशी मुद्रा भंडार है जो उसके मात्र 1.7 महीने का आयात करने के लिए काफी है।
पिछले हफ्ते आईएमएफ ने आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को छह अरब डॉलर का कर्ज देने की मंजूरी दे दी। इसमें से एक अरब डॉलर की राशि तत्काल पाकिस्तान को मुहैया करायी गयी। बाकी की राशि उसे तीन साल के अंदर देना तय हुआ। यह 1980 के बाद से अब तक पाकिस्तान को दिया गया 13वां राहत पैकेज है।
आईएमएफ के एक्जिक्यूटिव बोर्ड के फर्स्ट डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर और एक्टिंग चेयर डेविट लिप्टन ने कहा, 'पाकिस्तान बड़ी राजकोषीय और वित्तीय जरूरतों और कमजोर एवं असंतुलित वृद्धि के चलते कड़ी आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। पब्लिक डेट को कम करने और लचीलापन लाने के लिए निर्णायक राजकोषीय एकीकरण सबसे अच्छा तरीका है और वित्त वर्ष 2020 का बजट इस दिशा में शुरुआती कदम उठाने के लिए महत्वपूर्ण है।'
उन्होंने कहा कि राजकोषीय लक्ष्यों को पाने के लिए एक मल्टीईयर रेवेन्यु कलेक्शन रणनीति, टैक्स दायरा और टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने की जरूरत है। ये सारे काम एक सटीक, संतुलित और न्यायसंगत तरीके से होने चाहिए।