कांग्रेसी नेता शीला दीक्षित का हुआ निधन

कांग्रेस नेता शीला दीक्षित (81) का हुआ निधन. शीला दीक्षित के पास राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव था. शीला दीक्षित केरल राज्य की पूर्व राज्यपाल थीं. केरल के राज्यीपाल श्री निखिल कुमार के त्यातगपत्र देने के पश्चात् उनकी नियुक्ति इस पद पर की गई थी. इससे पूर्व वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वे देश की पहली ऐसी महिला मुख्यमंत्री थीं जिन्होंने लगातार तीन बार मुख्यमंत्री पद संभाला। इनको 17 दिसंबर,2008 में लगातार तीसरी बार दिल्ली विधान सभा के लिए चुना गया था। 2013 में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। वे दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। 2017 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांगेस पार्टी की मुख्यमंत्री पद लिये उम्मीदवार घोषित की गई थीं।



अनुभव


इन्होंने केन्द्रीय सरकार में १९८६ से १९८९ तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था. पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं तथा बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं. १९८४-८९ में इन्होंने उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने लोक सभा की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया. इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के पद पर, १९९८ में कांग्रेस को दिल्ली में, अभूतपूर्व विजय दिलाई थी. २००८ में हुए विधानसभा चुनावों में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने ७० में से ४३ सीटें जीतीं थी.


जीवन


श्रीमती शीला दीक्षित का जन्म ३१ मार्च,१९३८ को हुआ था. इन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली के कान्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से ली थी. बाद में स्नातक और कला स्नातकोत्तर की शिक्षा मिरांडा हाउस कालेज से ली. इनका विवाह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पूर्व राज्यपाल व केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री रहे, श्री उमाशंकर दीक्षित के परिवार में हुआ. इनके पति स्व. श्री विनोद दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य रहे थे. इनके दो संतानें हैं, एक पुत्र व एक पुत्री.


योगदान


शीला दीक्षित विवेकानंद स्लम कालोनी,दिल्ली में भाषण देते हुए. इन्होंने महिला उत्थन के लिए अथक प्रयास किए थे. इनका महिलाओं को समाज में बराबरी का स्तर दिलाने के अभियानों में अच्छा नेतृत्व रहा है. इन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की महिला स्तर समिति में भारत का प्रतिनिधित्व भी पांच वर्षों (1984 -89) तक किया था. इन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने 82 साथियों के साथ अगस्त 1990 में 23 दिनों की जेल यात्रा की थी, जब वे महिलाओं पर समाज के अत्याचारों के विरोध में उठ खड़ी हुईं थी, तब उन्होने प्रदर्शन भी किए थे. इससे भड़के हुए लाखों राज्य के नागरिक इस अभियान से जुड़े, व जेलें भरीं। 1970 में, वे यंग विमन्स असोसियेशन की अध्यक्षा भी रहीं. जिसके दौरान, इन्होंने दिल्ली में दो बड़े महिला छात्रावास खुलवाये। यह इंदिरा गाँधी स्मारक ट्रस्ट की सचिव भी थी. इस ट्रस्ट ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान बनाया था. यही ट्रस्ट शांति, निशस्त्रीकरण एवं विकस के लिये इंदिरा गाँधी पुरस्कार देता है, व विश्वव्यापी विषयों पर सम्मेलन आयोजित करता है। इनके संरक्षण में ही, इस ट्रस्ट ने एक पर्यावरण केन्द्र भी खोला है।


रुचि


श्रीमती दीक्षित, हस्तकला व ग्रामीण कलाकारों व कारीगरों के उत्थान में विशेष रुचि लेतीं थी. ग्रामीण रंगशाला व नाट्यशालाओं का विकास, इनका विशेष कार्य रहा है. 1978 से 1984 के बीच, कपड़ा निर्यातकर्ता संघ (गार्मेंट्स एक्स्पोर्टर्स एसोसियेशन) के कार्यपालक सचिव पद पर, इन्होंने तैयार कपड़ा निर्यात को एक ऊंचे स्तर पर पहुंचाया है. ये धर्म-निर्पेक्षता पर सदा अडिग रहती थी. सदा ही सांप्रदायिक ताकतों का प्रत्येक स्तर से विरोध करती थी. इनका मानना था, कि भारत में यदि जनतंत्र को जीवित रखना है तो सही व्यवहार व सत्यता के मानदंडों का पालन करना जीवन का एक अभिन्न अंग होना चाहिए.