समाजिक कार्यकर्ता को किसी भी हालत मे अपने रास्ते से भटकना नहीं चाहिये—आर.पी.सिंह   

आज समाज मे बहुसंख्यक संस्थान बन रहे है और लोग समाजिक संगठन के माध्यम से समाज को एकत्रित करने का प्रयत्न कर रहे है जिसके प्रति लोगो मे एक भावना बन रही है और हर व्यक्ति कही ना कही समाजिक चर्चा मे बना हुआ है जिसका आज का कर्मवीर क्षत्रिय स्वागत एवं अभिनंदन करता है। कई संगठन के निर्माण से कुछ संवेदनशील विचारों मे विसंगतियों के प्रति चिंता भी है परंतु हमे विश्वास है कि इसका समाज को लाभ ही हो सकता है क्योकि कुछ समय के पश्चात जो संस्था अच्छा कार्य करेगा लोग उसके साथ खड़े रहेंगे और जो अपेक्षा पर खरा नही उतरेगा उसको समापन की तरफ ढकेल दिया जायेगा। हमने महसूस किया है कि हमारे समाज मे कार्यकर्ता कम ज्ञानदाता और संवादाता ज्यादा ही है जिनके लिए सोशल मीडिया एक बेहतर विकल्प के रूप मे सहयोगी बन रहा है। समाजिक संगठन लोगो के कार्य के लिए बनाया जाता है जिसमे लोगो की सहभागिता से ही जनहित के छोटे बडे कार्य करने मे सफलता मिलती है परंतु यह तभी संभव है जब समाज के लोग भी उसमे नि:स्वार्थ सहयोग दे। अनुभव यह भी है कि जो किसी संगठन मे समाहीत नही रहे है वे सबसे ज्यादा संगठन के विचार जानने और समीक्षा के लिए तैयार रहते है। टिप्पणी और उदाहरण तो ऐसे करते है जैसे संपूर्ण जनहित के कार्य उनके सानिध्य से ही हुआ है लेकिन यदि भूलवश उनको किसी ज़िम्मेदारी मे लेना चाहे या उनकी भूमिका पता करना चाहे तो नगण्य ही रहता है। यह भी महसूस किया गया है कि यदि उनकी महत्वकॉक्षा को अनसुना करने की चेष्टा करके संगठन मे आगे बढ़ने की कोशिश करने का प्रयत्न किया तो उनके द्वारा विरोध का भी सामना करना पड़ता है और कई बार ऐसे लोगो से कार्यकर्ता स्वत:  को कमजोर भी समझकर रास्ता बदलने पर मजबूर होता है और इन महानुभाव    के लिए उदाहरण बन जाता है परंतु यदि कार्यकर्ता मजबूत इरादे के साथ आगे बढ़ता है तो ऐसे लोग भी इज़्ज़त बचाने के लिए किसी ना किसी संगठन मे समाहित होकर समाजिकता मे सहयोगी बन जाते है और यह समाजिक कार्यकर्ता की एक तरह से बडी जीत का प्रतीक समझा जाना चाहिये। समाजिक कार्यकर्ता को किसी भी हालत मे अपने रास्ते से भटकना नही चाहिये और ना ही हतोत्साहित होना चाहिये क्योकि देखा और अनुभव किया गया है कि यदि दो व्यक्ति हतोत्साहित करने वाले मिलते है तो तीन व्यक्ति सराहना और उत्साहवर्धक करने वाले भी मिलते है। कुछ अवसरवादी मिलते है तो कुछ नि:स्वार्थ भावना से अवसर प्रदान करने वाले भी मिलते है जिसके सहयोग से आगे बढ़ा जा सकता है। समाजिक संगठनों को भी आज के दौर मे निरंतर अवलोकन के साथ आगे बढ़ना चाहिये जिसमे कार्य करने वाले कार्यकर्ता को सुअवसर और निरंकुशता मे विश्वास करने वाले कार्यकर्ता को पहचानते हुए संगठनात्मकता के तहत बदलाव पर भी ध्यान देना उचित रहेगा। संगठन को सम्मानित व्यवस्था मे रखना है तो समाज के सभी वर्ग को समाहित करके ही अग्रणी भूमिका प्राप्त की जा सकती है जिसके लिए आपके द्वारा कड़े फ़ैसले ही संगठन के हित मे उपयोगी सिद्ध हो सकते है। अत: हम उन सभी समाजिक कार्यकर्ताओं को नमन करते है जो अपने स्वार्थ /प्रसिद्धि के लिए ही क्यो ना हो परंतु स्वत: का तन मन धन अर्पित करके समाज के लिए कार्य कर रहे है और समाज मे चेतना पैदा कर रहे है।