व्यवसायिक बनकर समाज का विकास करें - आर.पी.सिंह

                                                                                                                                     जीवन मे शिक्षा के उपरॉत सबसे प्रबल इच्छा  के साथ ही मॉसिक चिंता         एक योग्य नौकरी की होती है जिसके मिलने की संभावना सदैव कम  रहती है। सरकारी नौकरी के लिए आरक्षण संकट खड़ा करता है तो प्राईवेट सेक्टर मे मैनेजमेंट की राजनिति जिसमे प्रबल रूप से जातिवाद ,प्रॉतवाद, परिवारवाद का समावेश कभी भी आपकी प्रतिभा को विकसित नही होने देती है परंतु व्यवसाय     मे सभी तरह के अवसर को समाहित करके बडी सफलता प्राप्त की दी सकती है। स्वरोज़गार करने से नौकरी खोजने के स्थान पर नौकरी देने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। कुशल व्यवसायी बनने के लिए आवश्यक गुण आत्ममंथन से ही आता है । क्षत्रियों में इसका सबसे बड़ा कारण है आपसी सोहार्द की कमी होना, और जरूरत से ज्यादा अपने पद का अहंकार होना।  लेकिन इसके पीछे एक सत्य यह भी है कि जिन युवाओं की मदद की जाती है वे भी कुछ समय के बाद सब भूल कर उल्टा अपने मददगार की ही ऐसी तैसी करने लगते हैं। मतलब मददगार के प्रति बजाय आभारी रहने के उसी की जड़ खोदने में लग जाते हैं, जिसके कारण समाज का वह वरिष्ठ सदस्य, भविष्य में  किसी भी युवा क्षत्रिय की मदद करने से हमेशा के लिए मुंह फेर लेता है। जब तक हम अपने बच्चों को महाराणा प्रताप और भामा शाह से प्रेरणा लेकर जीवन में रहना नहीं सिखाएंगे तब तक क्षत्रिय समाज में न ही सामंजस्य स्थापित हो सकेगा और न ही समाज प्रगतिशील हो पाएगा। हम सभी क्षत्रियो को अगर प्रगतिशील और शक्तिशाली होना है तब  इतना संकल्प तो लेना पड़ेगा की हम सभी आपसी इर्ष्या और अहंकार को तिलांजलि देकर आपस में संगठित होकर एक दूसरे का मान सम्मान को हमेशा बढ़ावा देने के प्रति सजग रहे। और हमेशा याद रखें की कोई भी समाज आपस के सोहार्द, मान सम्मान को बढ़ाने से ही प्रगति पथ पर अग्रसर हो सकता है। इतिहास की गलतियों से जो समाज सबक सिखता है, वर्तमान के साथ साथ वे ही एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।