पर्युषण महापर्व हमें स्वयं को निकट आने का अद्भुत अवसर देता है- पूज्य गुरुदेव

      मुम्बईः पर्युषण महापर्व आध्यात्मिक सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अद्भुत संगम। श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर द्वारा आयोजित पर्युषण महापर्व की आराधना बनी लाखों लोगों के कल्याण का साधन।  आत्म शुद्धि का एक अद्भुत अवसर सिद्धांत से अनुभव की एक अद्भुत यात्रा स्वयं को पहचानने का एक अविस्मरणीय प्रसंग अर्थात जैन समाज का एक विराट आठ दिवसीय महोत्सव पर्यूषण महापर्व।  श्रीमद राजचंद्र मिशन धर्मपुर द्वारा आयोजित प्रस्तुत पर्व की आराधना सांस्कृतिक नाट्य प्रयोग भक्ति कार्यक्रम ध्यान प्रयोग और श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर के संस्थापक पूज्य गुरुदेव राकेश भाई के ज्ञानवर्धक प्रश्नों की संख्या से सुसज्जित थी। प्रस्तुत वर्ष पर्यूषण महापर्व का उत्सव मुंबई के सबसे बड़े इंडोर स्टेडियम में 26 अगस्त से 2 सितंबर के बीच मनाया गया था।



    विश्व भर से हजारों लोग आध्यात्मिक व्याख्यान के साथ आत्म जागृति, आत्म शुद्धि और जिन भक्ति, गुरु भक्ति आदि अनेक कार्यक्रम से सुशोभित उत्सव में पधारे थे। भारत के अलावा यू.के, यूएसए, यूएई, हांगकांग, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका आदि के लोग इस आराधना में जुड़े। पूज्य गुरुदेव श्री ने परिश्रम के इन 8 दिनों में 14 ज्ञानवर्धक प्रवचनों से साधकों पर बोध वर्षा की हर सुबह का शुभारंभ मोक्ष के चार द्वारपाल पर आधारित प्रवचन से होती। संध्या के प्रत्येक कार्यक्रम की शुरुआत क्षमा और आत्म जागृति लक्ष्यीय ध्यान से होती उसके पश्चात पूज्य गुरुदेव श्री द्वारा प्रभावपूर्ण प्रवचनओं की श्रंखला को जारी रखते हुए ज्ञानी का समागम कल्याण सर्जन करता है विषय पर प्रवचन आयोजित किए जाते थे।



     इस शुभ अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय भाई रूपानी को अपने समाज कल्याणकारी कार्यों और मूल्यों को बढ़ावा देने जैसे अनेक अधिकारी अभियानों के लिए श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर द्वारा पूज्य गुरुदेव श्री के करकमलों से “शासन रत्न” अवार्ड प्रदान किया गया। 26 अगस्त की शाम को भारत के सड़क परिवहन राज्य मार्ग एवं एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी द्वारा श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर अंतर्गत “पावर ऑफ वन” एक अद्धित्य समाज कल्याण कार्यालय का देशव्यापी स्तर पर अनावरण किया गया था। निस्वार्थ सामाजिक अभियानों के साथ-साथ पर्युषण महापर्व की आराधना में युवाओं श्रीमद् राज चंद्र मिशन धरमपुर के स्वयंसेवकों द्वारा अनेक सांस्कृतिक प्रश्नों की एक सारणी भी देखी गई। इस महापर्व के भव्य और दिव्य आयोजन दरमियान जैन परंपरा को उजागर करते हुए अनेक विशेष भक्ति में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां  दर्शाई गई। पर्युषण के प्रथम दिन एक खास नाटय प्रयोग पर्व धीराज पर्युषण की गौरव गाथा का आयोजन किया गया था। 30 अगस्त के दिन महावीर जयंती के अति मंगल अवसर पर भगवान महावीर द्वारा प्रकाशित जैन धर्म के स्तंभ और उनकी प्रसंगिकता पर आधारित एक संगीत नाटक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका नाम था भगवान महावीर का संदेश आज के युग में। इस अवसर पर पूज्य गुरुदेव राकेश भाई द्वारा लिखित एक विशेष पुस्तक भगवान महावीर के मंगलमय सिद्धांत का लांच किया गया था। पूर्ण आयोजन का देश-विदेश में अनेक टीवी चैनल मिशन के यूट्यूब चैनल के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया था ताकि दुनियाभर में लाखों लोग इस उत्सव का हिस्सा बन सकें। आत्मज्ञानी सदगुरुदेव के सानिध्य में भक्ति साधना और सिद्धि का त्रिवेणी संगम अर्थात पर्युषण महापर्व एक ऐसा पर्व जो हमें स्वयं को निकट आने का अद्भुत अवसर देता है।