समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने 'मुक्ति कारवां' वैन को हरी झंडी दिखाई

       नई दिल्लीः समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने डीसीपीसीआर और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के साथ बाल श्रम और तस्करी के खिलाफ 'मुक्ति कारवां' वैन को हरी झंडी दिखाई।  बाल तस्करी और बाल श्रम के खिलाफ  यह पहला प्रयास है जिसे वास्तविकता में लाने के लिए दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन के साथ मिलकर 'मुक्ति कारवां' वैन के जरिए लोगों में जागरूकता लाने की दृष्टि से शुरुआत की,  जिसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर बाल अधिकारों के उल्लंघन को रोकना है। 



  मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि “इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बाल अधिकारों का उल्लंघन और बच्चों की सुरक्षा दिल्ली में भी एक समस्या बनी हुई है।  मुक्ति कारवां , दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के साथ-साथ संबंधित विभाग को भी मदद करेगा इस समस्या से जुड़े मुद्दों की पहचान करने में।  यह गंभीर चिंता का विषय है और देश को बच्चों के लिए अनुकूल माहौल बनाने का लक्ष्य सिर्फ दयाभाव, संवेदनशीलता और जुनून के साथ ही संभव है और इस तरह के लगातार प्रयासों के जरिए। बच्चों के खिलाफ अपराध हर रोज बढ़ रहे हैं और राष्ट्रीय अपराध रिपोर्ट ब्यूरो (NCRB) कहता है, "हर दिन भारत में 290 बच्चे अपराध का शिकार हो जाते हैं और 2014-16 से बच्चों के खिलाफ अपराधों में चार गुना वृद्धि हुई है"।  बच्चे देश के सबसे कमजोर समूहों में से हैं।  12 साल से कम उम्र के बच्चों के यौन उत्पीड़न, अपहरण या हत्या का शिकार होने की संभावना सबसे अधिक होती है क्योंकि वे अधिक असुरक्षित होते हैं।  2014 में बच्चों के खिलाफ कुल 89,423 अपराध दर्ज किए गए। यह संख्या क्रमश: 94,972 और 2015-16 में 105,785 हो गई। यह देखा जा सकता है कि 2014-16 के बीच यौन अपराधों (POCSO) के तहत दर्ज अपराधों की संख्या 8,904 से बढ़कर 35,980 यानी चार गुना तक बढ़ गई। दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को भारत में बढ़ते अपराधों की संख्या की दृष्टि से पहले स्थान पर देखा जा सकता है। हर साल बाल यौन शोषण, महिलाओं और बच्चों के बलात्कार और मानव तस्करी की घटनाएं दर्ज होती है।  मानव तस्करी के लिए एक पारगमन और गंतव्य शिविर स्थान के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।  मानव तस्करों की सांठगांठ से महिलाओं और बच्चों की तस्करी कर बाल श्रम और वेश्यावृत्ति में जबरन धकेला जाता है।  दिल्ली से वे भारत के अन्य हिस्सों में महिलाओं और बच्चों की आपूर्ति करते हैं।  दिल्ली पुलिस अपराध रिकॉर्ड से पता चलता है कि हर हफ्ते 2 से अधिक बच्चे यौन उत्पीड़न में मामले दर्ज  होते हैं जो अपने आप में भयावह स्थिति है।  31 अक्टूबर 2014 तक, राजधानी के विभिन्न पुलिस थानों में POCSO अधिनियम के तहत 73 मामले दर्ज किए गए हैं।  दिल्ली में अन्य मेट्रो शहरों की तरह साइबर अपराध और बच्चों की साइबर बदमाशी भी बढ़ रही है।



दिल्ली सरकार का बाल अधिकार संरक्षण आयोग, बाल श्रम को समाप्त करने, तस्करी और दिल्ली में बाल अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए नीतिगत स्तर पर बदलाव लाने की दिशा में काम कर रहा है। डीसीपीसीआर के अध्यक्ष  रमेश नेगी ने कहा, "अभियान 6 महीने लंबा है और इसका विस्तार पांच महीने     के अंतराल में दिल्ली के अन्य जिलों में किया जाएगा"।